केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम लोगों की आस्था जुड़ी है उत्तराखंड में हिमाचल की पर्वत की गोद में बसा केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है यह धाम हिंदू आस्था का सबसे बड़ा केंद्र चार धाम की यात्रा पर जा रहे हैं केदारनाथ धाम जरूर जाए लेकिन क्या को केदारनाथ धाम के बारे में जानकारी है कहा जाता है कि भक्तों की सभी मनोकामना मंदिर में जाकर पूरी होती है
क्या है केदारनाथ की कथा
पौराणिक कथा की माने तो महाभारत युद्ध में पांडवों ने विजय प्राप्त कर अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने की कैलाश पर्वत पर महादेव के पास पहुंचे लेकिन शिव ने उन्हें दर्शन नहीं दिए और अंतर्ध्यान हो गए पांडवों ने हार नहीं मानी और शिव जी की खोज में केदार पहुंच गए।
पांडवों के आने की भनक लगते ही भोलेनाथ में बेल का रूप धारण किया पशुओं के झुंड में मिल गए पांडव शिव को पहचान ना पाए लेकिन भीम ने अपना विशाल रूप ले लिया और अपने पैर दो पहाड़ों पर फैला दी सभी पशु भीम के पैर से निकल गए लेकिन बेल के रुप में महादेव यह देखकर दोबारा अंतर्ध्यान हो गए तभी भीम ने उन्हें पकड़ लिया पांडवों की भक्ति देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें देखकर सभी पापों से मुक्त कर दिया तभी से यहां बैल की पीठ की आकृति के रुप में महादेव की पूजा की जाती है।
केदारनाथ का रहस्य
सनातन धर्म में केदारनाथ को अद्भुत ऊर्जा का केंद्र माना किया है पहाड़ियों से घिरी केदारनाथ तीर्थ की महिमा बेहद विशाल है पांच नदियों के संगम की जगह है।
बाबा के दर्शन से पहले केदारनाथ मार्ग में आने वाली गोरी कुंड में स्नान का विधान है यहां हर साल भैरव बाबा की पूजा के लिए मंदिर के कपाट बंद और खोले जाते हैं कहते हैं कि मंदिर के पट बंद होने पर भगवान भैरव इस मंदिर की रक्षा करते हैं माना जाता है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन की बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है उसे यात्रा का फल नहीं मिलता यहां स्थित बाबा भैरव नाथ का मंदिर विशेष महत्व रखता है।