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Travel Tips: आस्था की जगन्नाथ यात्रा, आखिर बहन के साथ क्यों पूजे जाते है श्रीकृष्ण और बलराम

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जगन्नाथ यात्रा

दुनिया भर में सबसे प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा का आगाज हो चुका है आस्था की ये यात्रा बेहद खास है और पुरी के जगन्नाथ मंदिर से इस यात्रा की शुरुआत हो गई है लाखों लोग इस यात्रा के दर्शन का लाभ उठा सकते है माना जाता है कि इस यात्रा में शामिल होने से इंसार को मोक्ष मिलता है बता दें दुनिया की इकलौती ऐसी पूजा है जिसमें जनगन्नाथ जी के साथ न तो उनकी पत्नी रुक्मणि होती है और ना ही उनकी प्रेयसी राधा होती है। अब आप सोच रहे होंगे की श्री कृष्ण यानी जगन्नाथ के साथ रथ यात्रा में कौन होता है तो बता दें इस पूजा मे उनके साथ बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा होती है लेकिन इससे भी जुड़ा एक रहस्य है जिसके बार में हम आपको जानकारी देने वाले है।

क्या है कथा प्रचलित
इससे जुड़ी एक प्रचलित कथा है कहा जाता है कि श्री कृष्ण एक बार अपने महल में आराम कर रहे थे तभ उनके पैरों के पास रानी रुक्मणी बैठी थी तभी करवट लेते समय श्री कृष्ण ने मुंह से राधा शब्द निकला जिसे सुनकर रुक्मणी को बेहद गुस्सा आया  उन्होंने सोचा की आखिर राधा में ऐसा क्या है जो उनमें नहीं है तो इससे साथ दिन रात होती हूं फिर भी इसके बावजूद भगवान नींद में राधा का नाम ले रहे है।

रुक्मणी ने नाराज होकर सारी बात अपनी रानियों को बता दी सबने मिलकर फैसला किया है कि वो इस बारे में मां रोहिणी से बात करेंगे इसके बाद सभी मां के कमरे में पहुंच और सारी सास्तां बताई जिस पर मां रोहिणी ने कहा कि वो इस बारे में सबको बताएंगी  लेकिन जो वो बात करें तो कृष्ण और बलराम यहां ना आए।

बहन सुभद्रा को बनाया ता कक्ष का पहरेदार
बता दें सभी रानियां सहमत भी हुई उन्होने फिर बहन सुभद्रा को द्वार पर पहरेदारी करने को कह दिया पहरा देते ही मां ने राधा और कृष्ण प्रसंद बताना शुरु किया तभी बहन ने देखा भगवान श्री कृष्ण और बलराम दोनों कक्ष की ओर आ रहे है ऐसे में सुब्रदा उन्हे रोकने के लिए कक्ष के बाहर आ गई  लेकिन मां रोहिणी की आवाज कक्ष से बाहर तक जा रही थी  उनकी प्रसंग  इतना दिलचस्प था की सुभद्रा कृष्ण और बलराम उनकी जगह खड़े हो गए और प्रसंग सुनने लगे  जैसे जैसे प्रसंग वो सुन रहे ते वैसे वैसे उन तीनों का शरीर गलना शुरू हो गया और वो आधे गल चुके थे।

नारद मुनि भगवान ने अद्भूत रुप देखकर हैरत में पड़ गए उन्होंने प्रभु से प्रार्थना की उनाक ये रुप भक्त भी देखे और उस दौरान इसी रुप में सबके सामने आए  प्रभु ने नारद की ये बात मानी और अपना वादा निभाने के लिए रथ यात्रा के जरिए भक्तों को दर्शन दिए।

तो इसलिए नहीं राधा रुकमणि
रथयात्रा की पूजा जगन्नाथ जी के साथ न ही उनकी पत्नी रुक्मणी होती है और उनकी प्रियसी राधा होती है बता दें मंदिर में स्थापित तीनों भगवानों की मूर्ति पूरी नहीं है तीनों और आधे रुप में पूजा जाता है।
 

AUTHOR :Kajod Verma

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