वास्तु टिप्स
हिंदू धर्म में किसी भी शिवालय में भगवान शिव के सामने उनकी सवारी नंदी की मूर्ति होती है भोले बाबा के दर्शन की तरह ही नंदी के दर्शन और पूजा की जाती है सनातन परंपरा में भगवान भोलेनाथ से पहले नंदी महाराज की पूजा का विधान है मान्यता है कि महादेव ने नंदी को आशीर्वाद दिया था कि यदि कोई व्यक्ति अपनी मनोकामना तुम्हारे कान में कहेगा तो वो प्रार्थना मुझ तक पहुंचेगी। भगवान शिव के खास गुणों में से एक नंदी है जिनका एक स्वरुप महिष है जिसे हम महिष को बैल भी करते है ऐसे में कई लोग जब मंदिर जाते है लेकिन शिवजी के साथ उनकी पूजा भी करना जरुरी है नहीं तो शिव जी की पूजा पुण्यफल नहीं मिलता है।
नंदी के कानों में आखिर क्या कहते है भक्त ?
शिव पूजा से पहले नंदी के कान में अपनी कामना को कहने के पीछे एक कथा का वर्णन है जिसके अनुसार भगवान ने एक बार नंदी से कहा कि जब कभी भी वे ध्यान मुद्रा में रहे तो उनके भक्तों की कामना को सुनो महादेव ने कहा कि कोई भी भक्त तुम्हारे कान में कहेगा शिव ने कहा कि मैं ध्यान से बाहर आउंगा तो तुम्हारे द्वारा मुझे भक्त की मनोकामना मालूम हो जाएगी।
हिंदू मान्यता की माने तो जिस तरह से भगवान श्री राम की कृपा पाने के लिए उनके सेवक माने जाने वाले हनुमान जी की पूजा फलदायी होती है कुछ वैसे ही देवों के देव महादेव की कृपा पाने के लिए नंदी की पूजा का विधान है ऐसे में शिव की शीघ्र कृपा मिलती है।
शिव के सबसे बड़े भक्त नंदी
कहते है कि जब असुरों और देवताओं ने समुद्र मंथन किया और उसमें से हलाहलविष निकला तो सृष्टि को बचाने के लिए उसे पी लिया था विष को पीते समय उसकी कुछ बूंदे पृथ्वी पर गिरी लेकिन नंदी ने तुंरत अपनी जीभ से उसे साफ कर दिया मान्यता है कि नंदी के इस समर्पण भाव को देखा तो उनसे बेहद ही प्रसन्न हुए और सबसे बड़े शिव भक्त की उपादि दी।