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मणिपुर में हिंसा का 51वां का दिन...आखिर क्यों नहीं रुक पा रही हिंसा

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मणिपुर में हिंसा

देश का एक राज्य ऐसा है जहां पिछले 51 वे दिन से हिंसा और आगजनी हो रही है यहां हर तरफ हिंसा है और ये राज्य देश के बाकी हिस्सों से पूरी तरह से कट चुका है यहां कुकी समुदाय ने सभी रास्तों को ब्लॉक कर दिया है।

मणिपुर से मेघायल जा रहे विस्थापित
आपको बता दें हालात इस कदर खराब है कि मणिपुर से लोग पलायन कर रहे है और मेघालय में बस रहे है और मेघायल जा रहे हर व्यक्ति का रिकॉर्ड रखा जा रहा है बता दें इस हिंसा की शुरुआत 3 मई को हुई थी जिसके बाद तनाव अब तक शांत नहीं हो पाया है और हालात ऐसे है कि मणिपुर में हर तरफ बवाल और हिंसा की तस्वीर है।

कैसे शुरू हुई मणिपुर की हिंसा

मणिपुर की आबादी की बात करें तो करीब 38 लाख है और यहां तीन पमुख समुदाय है मैतेई, नगा और कुकी मैतई ज्यादातर हिंदू है और नगा-कुकी इसाई धर्म को मानते है एसटी वर्ग में आते है इनकी आबादी करीब 50 प्रतिशत है राज्य के करीब 10 प्रतिशत में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय का बहुल है और नगा-कुकी की आबादी 34 है और ये 90 प्रतिशत इलाके में रहते है।

कैसे शुरू हुआ विवाद
मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हे भी जनजाति का दर्जा दिया जाए समुदाय इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगा चुका है समुदाय की दलील ती कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ और उससे पहले उन्हे जनजाति का ही दर्जा मिला था ।

मैतई का तर्क क्या
मैतई जनजाति वाले मानते है कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी युदध लड़ने के लिए बुलाया था उसके बाद ये स्थानी निवासी हो गए लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती की और ये जगह ड्रग्स के लिए खास बन गई साथ ही नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाए।

शांति समझौता हुआ लेकिन बात नहीं बनी
2008 में भारत सरकार और मणिपुर और इन संगटनो के बीच समझौता हुआ था मैतई का आरोप है कि इसके बाद इस ग्रुप ने अवैध स्रोतों से कमाई जारी रखी जिसके बाद मार्च 2023 में सरकार ने इसे रद्द किया और अफीम की खेती को नष्ट किया इसेस कुकी समुयदाय नाराज था  और फिर हाइ कोर्ट के आदेश के बाद ये हिंसा भड़क उठी।

नगा कुकी विरोध में क्यों
दोनों ही जनजाति मैतेई समुदाय के आरक्षण का विरोध कर रही है और यहीं कारण है कि हिंसा हो रही है नगा कुकी का दावा है कि मैतेई समुदाय आदिवासी नहीं है इन्हे पहले से एससी और ओबीसी के साथ आर्थिक रुप से पिछड़ा वर्ग का आरक्षण मिला है

AUTHOR :Kajod Verma

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