You will be redirected to an external website

आदित्य एल-1 को तीन माह में अंतरिक्ष भेजने की तैयारी, चंद्रयान-3 भी इसी साल

आदित्य-एल-1-को-तीन-माह-में-अंतरिक्ष-भेजने-की-तैयारी,-चंद्रयान-3-भी-इसी-साल

प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद तथा अंतरिक्ष आयोग के सदस्य, इसरो के पूर्व अध्यक्ष, अंतरिक्ष विभाग के पूर्व सचिव, पीआरएल प्रबंध परिषद के अध्यक्ष पद्मश्री एएस किरण कुमार

अगले तीन माह में देश को अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर एक और खुशखबरी मिलने वाली है। आदित्य एल-1 को लॉन्च करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और सब कुछ ठीक रहा तो अगले तीन माह में उसे अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया जाएगा।
यह जानकारी प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद तथा अंतरिक्ष आयोग के सदस्य, इसरो के पूर्व अध्यक्ष, अंतरिक्ष विभाग के पूर्व सचिव, पीआरएल प्रबंध परिषद के अध्यक्ष पद्मश्री एएस किरण कुमार ने सोमवार को यहां उदयपुर में दी।
किरण कुमार उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी (यूएसओ) के तत्वावधान में यहां शुरू हुई तीन दिवसीय सौर भौतिकी कार्यशाला ‘बहु-स्तरीय सौर परिघटनाएं : वर्तमान क्षमताएं और भावी चुनौतियां (यूएसपीडब्ल्यू -2023) के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब तक हम धरती से अलग-अलग स्थानों से 12-12 घंटे ही सूर्य पर होने वाली ग्रहीय गतिविधियों का अध्ययन कर पाते थे, आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में ऐसी जगह स्थापित किया जाएगा जहां से सूर्य पर होने वाली घटनाओं पर 24 घंटे अध्ययन किया जा सकेगा। आदित्य एल-1 की कक्षा पृथ्वी और सूर्य से दूरी की तुलना में पृथ्वी से यदि 1 प्रतिशत रहेगी तो सूर्य से 99 प्रतिशत।
उन्होंने कहा कि उदयपुर स्थित सौर वेधशाला की भूमिका भी इस मिशन में महत्वपूर्ण रहेगी। सूर्य से आने वाली रेडियो विकिरणों का ऑब्जर्वेशन इसी वेधशाला के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने आदित्य एल-वन के फायदों को लेकर बताया कि सूर्य से विकिरणों के साथ पार्टिकल्स भी आते हैं जिन्हें ‘सोलर विण्ड’ कहा जाता है। अलग-अलग तरह की सोलर विण्ड पृथ्वी के वायुमण्डल पर भी अलग-अलग प्रभाव डालती होंगी, इसका अध्ययन कर फायदे और नुकसान पर शोध किए जा सकेंगे। यदि नुकसानदेह सोलर विण्ड की जानकारी कुछ समय पूर्व हमें हो जाती है तब उसके समाधान के लिए हमारे पास कुछ वक्त होगा और बड़े नुकसान से बचने का प्रयास किया जा सकेगा।
भारत में निकटवर्ती अंतरिक्ष मिशन के सम्बंध में उन्होंने बताया कि चंद्रयान-थ्री और एक्सपोसेट की तैयारी इसी साल की है। चंद्रयान-2 में लैंडर में जो तकनीकी समस्याएं आई थीं, उनमें सुधार कर लिया गया है और नया लैंडर तैयार है। इन दो मिशन के बाद जापान के साथ एक लूनार कार्यक्रम प्रस्तावित है जिस पर आरंभिक मंथन चल रहा है।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक अहमदाबाद भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक प्रोफेसर अनिल भारद्वाज ने स्वागत उद्बोधन दिया और उदयपुर सौर वेधशाला की उपलब्धियों तथा आने वाले समय में होने वाले तकनीकी विस्तार की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लद्दाख की पेंगोंग झील किनारे स्थापित हो रही प्रयोगशाला को तैयार करने की आरंभिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उदयपुर सौर वेधशाला को दी गई है।
इस मौके पर स्पेस वेदर विज्ञानी डी. पालमराजू व हाइड्रोलॉजिस्ट आरडी देशपाण्डे ने भी विचार रखे।कार्यशाला संयोजक प्रो. भुवन जोशी ने बताया कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला में अंतरिक्ष विभाग, आईआईटी सहित देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थानों के 75 शीर्ष सौर व अंतरिक्ष वैज्ञानिक पहुंचे हैं। संयोजक एवं मीडिया समन्वयक डॉ. रमित भट्टाचार्य ने बताया कि कार्यशाला मे सूर्य पर अनुसंधान की वर्तमान स्थिति, सक्रियता, बदलाव और अंतरिक्ष मौसम आदि विषयों पर गहन चर्चा होगी। आदित्य एल-1 सौर मिशन सहित भारत के भविष्य के सौर मिशनों पर एक विजन डॉक्यूमेंट भी तैयार होगा।

AUTHOR :Parul Kumari

अमृतसर-में-पुलिस-से-भिड़े-हजारों-खालिस्तान-समर्थक,-अपने-साथी-के-विरोध-में-उठाये-बंदूक-व-तलवार Read Previous

अमृतसर में पुलिस से भिड़...

Read Next

उच्च शिक्षा तक पहुंच को ब...