होली खेलते सीमा के जवान
भारत के अधिकांश हिस्सों में रंगों का त्योहार भव्य तरीके से मनाया जाता है। यह डोल यात्रा या होली वसंत के मौसम की शुरुआत में रंगों का त्योहार है। जो आनंद का प्रतीक है और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। साथ ही फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।
पिछले दो साल से रंगों के त्योहार की खुशियों में कोरोना बाधक बना हुआ था। इस वर्ष यह पर्व काफी उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह चमकीले रंगों के साथ वसंत का स्वागत करने का समय है। देशभर में होली का जश्न चल रहा है।
सितारों से लेकर राजनीतिक हस्तियों तक हर कोई होली का लुत्फ उठा रहा है। ठीक उसी तरह बीएसएफ के जवान भी यहां होली के जश्न में शामिल हुए हैं।
ये सीमा के पहरेदार हैं। जो अपनी जान को जोखिम में डालकर देश की जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। विभिन्न त्योहारों के दौरान सीमा रक्षक जवानों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ रहने का मौका नहीं मिल पाता है। क्योंकि उन्होंने देशवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की है।
होली एक ऐसा त्योहार है जहां भारत-बांग्लादेश के सीमावर्ती करीमगंज में सीमा प्रहरियों ने सभी बाधाओं को दरकिनार कर रंगों का त्योहार मनाते हुए उत्साह के साथ होली के आयोजन में हिस्सा लिया। बीएसएफ की 16वीं बटालियन के दोयालिया प्रधान कार्यालय में होली के मौके पर विशेष इंतजाम किए गए थे। इस दिन बीएसएफ के जवान एक-दूसरे को रंग लगाकर होली के जश्न में शामिल हुए। सैनिकों ने एक-दूसरे को रंग-अबीर लगाने के अलावा लोकप्रिय होली गीत रंग बरसे की धुन पर जमकर नृत्य किया और जय भारत के नारे पर नृत्य किया। बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी विशेष समारोह में भाग लिया और मिठाइयां बांटीं।
16वीं बटालियन के कैप्टन संजय कुमार ने कहा कि जब पूरा देश होली खेल रहा है तो देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर बीएसएफ के जवान तैनात हैं। परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर यूनिट ही उनका परिवार है। इसलिए सैनिक इस परिवार के साथ रंगों का त्योहार मनाते हैं। वे एक-दूसरे से अपना सुख-दुख बांटते हैं।
उन्होंने 16वीं बटालियन के जवानों सहित उनके परिवार के सदस्यों को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बीएसएफ के जवान हर त्योहार को त्योहारों के माध्यम से प्यार फैलाकर अलग तरीके से मनाते हैं।