निशिकांत ठाकुर
सब जानते हैं कि जब किसी को आप उंगली दिखाते हैं, तो आपकी ओर भी तीन उंगलियां उठी रहती हैं। इशारा भाजपा और कांग्रेस की ओर ही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले दिनों दिल्ली एयरपोर्ट पर कांग्रेस प्रवक्ता को विमान से उतरकर गिरफ्तार करने के लिए जो हाई वोल्टेज ड्रामा किया गया, काश इस तरह की कार्रवाई पुलिस द्वारा समय—समय पर देश में होने वाली आतंकी घटनाओं पर की गई होती, तो जानमाल का जितना नुकसान आज तक देश झेल चुका है, उसमें अपेक्षित कमी आई होती। यह ठीक है कि कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने देश के प्रधानमंत्री के नाम के साथ जानबूझकर ही सही, 'चर्चित गौतम अडानी' के नाम के साथ जोड़कर अनर्गल रूप में लिया, जो घोर निंदनीय है , लेकिन उनकी गिरफ्तारी का जो हाई वोल्टेज ड्रामा पेश किया गया, वह तो विपक्षी दल के लिए बड़ा मुद्दा बन गया। अब विपक्षी ढूंढ-ढूंढ कर भाजपा और विशेष रूप से प्रधानमंत्री की इस प्रकार की टिप्पणियों को सार्वजनिक करने में लग गए हैं जिसमें सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने विपक्षी दलों और उनके नेताओं पर की थी। क्या इस हाई वोल्टेज ड्रामा का मतलब सत्तारूढ़ दल द्वारा एक ऐसा आतंक विपक्षी दलों के नेताओं मन में पैदा करना था, जिससे उनमें डर पैदा हो और भविष्य में कोई ऐसा बोलने की हिमाकत न कर सके। भला हो सुप्रीम कोर्ट का, जिन्होंने कांग्रेस प्रवक्ता को अंतरिम जमानत दे दी, जिससे उन्हें कांग्रेस के रायपुर में आयोजित 85वें सम्मेलन में हिस्सा लेने का अवसर मिल सका। सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद पवन खेड़ा कहते हैं कि 'मुझे गैर कानूनी तरीके से विमान से उतारकर गिरफ्तार किए गया। बिना एफआईआर की कॉपी और नोटिस मेरी गिरफ्तारी हुई। मुझे न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है, जिसने आज मेरी रक्षा की।'
पवन खेड़ा ने पत्रकार वार्ता में कहा था कि हिंडनबर्ग-अदाणी मामले पर जेपीसी गठन करने में 'नरेंद्र गौतमदास मोदी को समस्या क्या है? बाद में कहा— क्षमा करें, नरेंद्र दामोदरदास मोदी।' पावन खेड़ा की गिरफ्तारी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए अंतरिम जमानत के बाद सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के उत्तर प्रदेश में एक सार्वजनिक मंच से दिए गए उस भाषण को वायरल किया जा रहा है, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी के लिए कहा था, 'आपके पिता को आपके रागदरबारियों ने 'मिस्टर क्लीन' बना दिया था। गाजे—बाजे के साथ 'मिस्टर क्लीन, मिस्टर क्लीन' चला था, लेकिन देखते—ही—देखते भ्रष्टाचारी नंबर वन के रूप में उनका जीवनकाल समाप्त हो गया।' दरअसल, प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी उस बोफोर्स घोटाले के संदर्भ में की गई थी जिसमें राजीव गांधी का नाम घसीटा जरूर गया था, लेकिन बाद में न सिर्फ उनका नाम उस चार्जशीट से हटाया गया और उन्हें क्लीन चिट दी गई, बल्कि एक वर्ष पहले जब सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दोबारा उस मामले को खोलने की अनुमति मांगी, तो सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को यह कहते हुए अनुमति नहीं दी कि उसे इस मामले की याद अचानक 13 वर्ष बाद कैसे आई! कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत कहती हैं कि जब प्रधानमंत्री हमारी चुनी हुई अध्यक्ष को कांग्रेस की विधवा, जर्सी गाय, हमारे लीडर को हाईब्रीड बछड़ा, ब्याहता को पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड कहते हैं, तो हमें भी पीड़ा होती है। प. बंगाल के चुनाव में वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री 'दीदी ओ दीदी' कहते हैं, तो यह उनकी गरिमा के अनुकूल नहीं है और यह भारतीय नारी का अपमान भी है।
ठीक पवन खेड़ा की तरह गुजरात के कांग्रेस विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी को असम पुलिस ने पालनपुर सर्किट हाउस से पिछले वर्ष रात लगभग 11:30 बजे गिरफ्तार कर लिया। उन्हें असम ले जाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट में आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर मेवाणी के खिलाफ असम पुलिस ने केस दर्ज किया था। मेवानी ने अपने ट्वीट में कहा था, 'गोडसे को अपना आराध्य मानने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 तारीख से गुजरात दौरे पर हैं। उनसे अपील है कि गुजरात में हिम्मतनगर, खंभात, वेरावल में जो कौमी हादसे हुए हैं, उसके खिलाफ शांति और अमन की अपील करें। महात्मा मंदिर के निर्माता से इतनी उम्मीद तो बनती है।' यहां इसका उल्लेख करना आवश्यक है कि राजनीतिक गलियारे में इस गिरफ्तारी को सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है। जिग्नेश मेवानी, गुजरात कांग्रेस (अब निर्दलीय) के बड़े चेहरों में से एक हैं और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाते रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कानून का सम्मान तो हर किसी को करना होगा। अगर किसी शख्स ने विधिसम्मत काम नहीं किया हो, तो उसके खिलाफ राजनीतिक कार्रवाई होती है। लेकिन, जब मामला किसी राजनीतिक शख्सियत से जुड़ा हो तो कई तरह के सवाल भी उठ खड़े होते हैं। आज यही चर्चा कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की हवाई जहाज से उतारकर की गई गिरफ्तारी को लेकर देशभर में कांग्रेस द्वारा माहौल को गरमाया जा रहा है। पवन खेड़ा के विरुद्ध लखनऊ, वाराणसी और असम के हफलोंग थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 153बी, 500, 504 शामिल हैं। भाजपा प्रवक्ता ने पवन खेड़ा की गिरफ्तारी पर कहा है कि देश का कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और कांग्रेस द्वारा हवाईअड्डे पर धरना देना यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ करने जैसा है।
पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के बाद से ही सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, भाजपा सरकार ने पवन खेड़ा को परेशान करने की कोशिश की। मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खुश हूं, यह उनके मुंह पर करारा तमाचा है। मैं भाजपा के इस कृत्य की निंदा करता हूं। संसद में भी हमें मुद्दे उठाने से रोका गया। वे बोलने की आजादी खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतंत्र खतरे में है।' कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि 'क्या भारत बनाना रिपब्लिक बन गया है।' समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा को कोसते हुए कहा कि यह इसी तरह से काम करती है, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी को कानून, संविधान और लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। खरगे ने ट्वीट किया कि विपक्ष संसद में मुद्दे उठाए तो नोटिस दिया जाता है। महाधिवेशन के पहले छत्तीसगढ़ के हमारे नेताओं पर ईडी की छापेमारी कराई जाती है। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा को विमान से उतारकर गिरफ्तार किया गया। भारत के लोकतंत्र को मोदी सरकार ने हिटलरशाही बना दिया। हम इस तानाशाही की घोर निंदा करते हैं।'
जिस पूर्व प्रधानमंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू को आज सत्तापक्ष पानी पी-पीकर कोसते हैं, उन्हीं नेहरू के प्रति भाजपा सर्वश्रेष्ठ कद्दावर नेता स्व. अटल बिहारी बाजपेई के मन में कितना सम्मान था, इसका उदाहरण यहां देना आवश्यक है। वर्ष 1977 में जब अटल बिहारी बाजपेई विदेश मंत्री बने तो कार्यभार ग्रहण करने के लिए साउथ ब्लॉक अपने दफ्तर पहुंचे तो उन्होंने गौर किया कि वहां लगी नेहरू की तस्वीर गायब थी। उन्होंने तुरंत अपने सेक्रेटरी से इस बारे में पूछा, तो उन्हें बताया गया कि कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर पं. नेहरू की तस्वीर को वहां से हटा दिया है; क्योंकि पं. नेहरू विरोधी दल के नेता थे, लेकिन बाजपेई जी ने कहा कि उस तस्वीर को वहां फिर से लगा दिया जाए। पहले तो प्रायः कांग्रेस, भाजपा द्वारा लगाए आरोपों को सुनकर चुप रह जाती थी, लेकिन अब राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' की अपार सफलता के बाद से एक प्रकार से वह नींद से जगकर मुखर हो गई है। अब ऐसा लगने लगा है कि जैसे उसे यह एहसास हो गया है कि उसकी चुप्पी और आपसी तालमेल की कमी के कारण कहीं भाजपा का यह नारा सच न हो जाए जिसमें उनका कहना था कि देश में कांग्रेस लगभग समाप्त हो गई है। बस, समाज में आमलोगों के मन में यह मनोवैज्ञानिक विश्वास दिलाना है। अब कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन के बाद स्पष्ट हो गया है कि वह अपनी कमी को दूर करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में डटकर भाजपा के विरुद्ध अपना अभियान चलाएगी और जनता के मन में अपनी पार्टी के प्रति विश्वास पैदा करके देश की सबसे पुरानी और विश्वसनीय पार्टी होने का गौरव भी हासिल करेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)