रामायण कॉन्क्लेव
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित हो रहे रामायण कॉन्क्लेव का शुभारंभ शोभा यात्रा के साथ शुरू किया गया। दो दिवसीय कॉन्क्लेव के पहले दिन सोमवार को विवि परिसर जय श्रीराम के जयकारों से गुंजमान हो उठा। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों एवं अधिकारियों ने शोभयात्रा में हिस्सा लिया और जय सिया राम के उद्घोष के साथ शोभायात्रा में जुड़े रहे। सीएसजेएमयू के लेक्चर हॉल कॉम्पेलक्स में रामायण कॉन्क्लेव का शुभारंभ मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, विशिष्ट अतिथि स्वामी मिथिलेश नंदनी शरण व कुलपति प्रो.विनय कुमार पाठक ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। शोभायात्रा सर्वेश्वर मंदिर से यूआईईटी हॉल तक निकाली गई। मुख्य अतिथि ने कहा कि रामायण और विश्व के सबसे बड़े चरित्र प्रभु श्रीराम के जीवन से विनम्रता, शीतलता, शिष्यों का अपने गुरु के प्रति समर्पण और परंपरा की सीख मिलती है। यूआईईटी हॉल में हो रहे कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने रामायण के मूल्यों को समझाया। उन्होंने अपने ऑनलाइन संबोधन में रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही। उन्होने कहा कि रामायण राष्ट्र की धरोहर है। गंगोत्री से गंगासागर तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक राम हर मानव के मन में हैं। हर व्यक्ति को रामायण का अध्ययन करना चाहिए। रामचरित मानस में जो रामराज्य की परिकल्पना हैं वैसा आदर्श आज भी होना चाहिए। इस मौके पर प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी, विनय नारायण तिवारी श्मुकुलश् मौजूद रहे।
2047 तक देश बनेगा विश्वगुरु
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कार्यक्रम में युवाओं से कहा कि धर्म के सिवाय छोड़कर कुछ भी शाश्वत नहीं है। धर्म और संस्कृति से जुड़कर ही सफलता पायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक विश्वगुरु बनेगा। इसके लिए युवाओं को आगे आकर अपनी संस्कृति को अपना कर आगे ले जाना होगा। उन्होंने कहा कि आज जो भी देश अव्वल पंक्ति में खड़े हैं उन्होंने भी समय के साथ बदलाव तो किए पर अपनी रिति रिवाजों और संस्कृति के साथ समझौता नहीं किया।
रामायण ईश्वरत नहीं मनुष्यता का मूल्य
कार्यक्रम में स्वामी मिथिलेश नंदिनी ने युवाओं को बाल्मिकी रामायण से आत्मसात होने की बात कही। उन्होंने कहा कि रामायण ईश्वरत का गुणगान करने वाला कोई शास्त्र नहीं है बल्कि इससे मनुष्यता की परिभाषा की सीख मिलती है। कहा कि रामायण मनुष्य की सभी गुणों को असाधारण तरीके से अपने भीतर समाहित किए हुए है। इससे जुड़कर और पढ़कर ही इसके सिद्धांत और मूल्य को समझा जा सकता है। उन्होंने छात्रों को भारत की संस्कृति की ओर मुड़ने को कहा।
जब रैंप पर निकले सीता राम तो लगे जयकारे
कार्यक्रम की भव्यता इसी बात से समझी जा सकती है कि विवि के छात्र-छात्राओं ने राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान की वेशभूषा में स्टेज पर रैंप वाक किया। जब बच्चे रामायण के चरित्रार्थ को लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहे थे तो हॉल का वातावरण ही अयोध्या, चित्रकूट जैसी धार्मिक नगरी सा प्रतित हो रहा था। लोगों ने अपने आप को इससे जोड़ा और जोर-जोर से जयकारे लगाए। इस कार्यक्रम में सिया राम रूप प्रतियोगिता, भक्ति गायन प्रतियोगिता सहित अन्य प्रतियोगिताओं का भी आयोजन हुआ। सियाराम रूप प्रतियोगिता में आईना कपूर ( सिया) , प्रियंवदा, सौम्या, ऋषभ यादव- राम, अभय दीक्षित-लक्ष्मण, अंश गुप्ता-हुनमान, अनुराग शुक्ला (राम) तथा अभय दीक्षित ( लक्ष्मण) ने प्रतिभाग किया। कॉन्क्लेव में रामायण गान, भजन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर वाल्मिकी के राम विषय निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी। जिसमें विश्वविद्यालय एवं बाहर से भी प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने सभी अतिथियों को मंच पर तुलसी पादप एवं पेटिंग प्रदान कर उनका स्वागत किया।
विधानसभा अध्यक्ष की मौजूदगी में एमओयू साइन
कॉन्क्लेव में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय एवं अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के मध्य एमओयू साइन किया गया। अयोध्या शोध संस्थान की ओर से डॉ लवकुश द्विवेदी निदेशक एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना भी मंच पर मौजूद रहे। सीएसजेएमयू में हो रहे रामायण कॉन्क्लेव में लोक संस्कृति की झलक दिखाई पड़ी।