राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शांति निकेतन दौरे के दौरान
आदिवासी संगठनों के कई नेता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शांति निकेतन दौरे के दौरान उनसे मिलने वाले थे लेकिन राज्य पुलिस ने छह आदिवासी नेताओं को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया। उन्हें मंगलवार सुबह से ही उनके घरों में नजरबंद रखा गया था। ऐसे में राष्ट्रपति जब तक शांति निकेतन में रहीं, तब तक नेताओं को अपने घरों में ही रहना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि देउचा-पचमी में ओपन पिट कोल माइनिंग के लिए राज्य सरकार जमीन का अधिग्रहण कर रही है। क्षेत्र के मूल निवासी शुरू से ही खनन का विरोध कर रहे हैं। आरोप है कि बोलपुर-शांतिनिकेतन इलाके में कई आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। आरोप यह भी लग रहे हैं कि वहां रिसॉर्ट, होटल, हाउसिंग, कॉटेज, बहुमंजिला आदि बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा, आदिवासी संगठनों के नेताओं को आदिवासियों की शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलना था। आदिवासी संगठनों के नेताओं ने विश्व भारती विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखकर राष्ट्रपति से मिलने की अनुमति मांगी थी लेकिन अंतिम समय में इसकी अनुमति नहीं दी गई। आखिरकार मंगलवार सुबह छह बजे से आदिवासी नेता राम सोरेन, सोना मुर्मू, डॉ. बिनय कुमार सोरेन, मिंटी हेम्ब्रम, रथिन किस्कू और सिबू सोरेन को नजरबंद कर दिया गया। उनके घर पर सुबह से ही पुलिस तैनात थी। नेताओं को अपने-अपने घरों में तब तक रहने के लिए कहा गया जब तक राष्ट्रपति शांति निकेतन में रहीं।