बीरभूम जिले के तृणमूल नेता मृगांक मंडल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ जिला नेताओं की बैठक से ऐन पहले बीरभूम जिले के तृणमूल नेता मृगांक मंडल ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। दरअसल, बीरभूम के तृणमूल जिलाध्यक्ष अणुव्रत मंडल की पशु तस्करी मामले में गिरफ्तारी के बाद से पार्टी जिले मे नेतृत्वहीनता की स्थिति में है। ऐसे में यहां पार्टी का वर्चस्व कायम रखने की रणनीति तय करने के लिये तृणमूल सुप्रीमों ममता बनर्जी ने आज यानी शुक्रवार को बीरभूम जिला नेताओं के साथ कोलकाता के कालीघाट स्थित अपने आवास पर बैठक करने वाली हैं। उससे पहले तृणमूल के नलहाटी क्षेत्रीय अध्यक्ष ने पार्टी छोड़ दी।
मृगांक मंडल नलहाटी एक नंबर प्रखंड के बाउटिया क्षेत्र के अध्यक्ष हैं। दो महीने पहले उनके बेटा स्वास्थ्य खराब रहने लगा। उस वक्त मृगांक पारिवारिक दिक्कतों का हवाला देकर पद से हटाना चाहते थे। इस संबंध में नलहाटी के विधायक को पत्र भी भेजा है। आरोप है कि उस वक्त विधायक ने पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप में कहा था कि 2021 में मृगांक को हटा दिया गया है। मृगांक को यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। इसके बाद उन्होंने पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला किया। कालीघाट बैठक से ठीक पहले मृगांक ने पार्टी छोड़ दी।
इस संबंध में मृगांक मंडल ने कहा कि पारिवारिक समस्याओं के कारण मैंने काम से ब्रेक मांगा था, लेकिन मेरा मजाक उड़ाया गया। मुझे यह कहते हुए निष्क्रिय किया गया कि विधानसभा चुनाव में बाउटिया क्षेत्र पिछड़ गया, लेकिन लोकसभा में विधायक और उनके भाई की सीटों का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा। फिर उन्हें निष्क्रिय क्यों नहीं किया गया? भाजपा की जिला कमेटी के सदस्य बिप्लव ओझा ने कहा कि विधायक और उनके भाई का सिंडिकेट पूरे नलहाटी पर राज कर रहा है इसलिए अन्य तृणमूल नेताओं और कार्यकर्ताओं का दम घुट रहा है।