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झारखंड में बहू-बेटियां भी सुरक्षित नहीं, खनिज संपदा की हो रही लूट: अश्विनी चौबे

केंद्रीय खाद्य आपूर्ति, वन-पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी चौबे

केंद्रीय खाद्य आपूर्ति, वन-पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि जब से केन्द्र की मोदी सरकार में भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसी है, यह सभी ठग बंधन के बहाने एक मंच पर आ रहे हैं लेकिन 2024 में एक बार फिर से नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। केंद्रीय मंत्री दो दिवसीय झारखंड प्रवास पर रविवार को रांची पहुंचे। प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा प्रदेश इकाई ने लगातार सड़क से सदन तक राज्य की गठबंधन सरकार की वादाखिलाफी जनविरोधी नीतियों को उजागर करते हुए बड़े आंदोलन किए हैं क्योंकि यहां की सरकार अपने वायदों को पूरा करने में सबसे अक्षम साबित हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य की सरकार आदिवासी, दलित पिछड़ा युवा महिला एवं किसान विरोधी साबित हुई है और इस सरकार को बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
केंद्र की गिनायी उपलब्धियां
उन्होंने कहा कि झारखंड में कोविड-19 के दौरान 41.03 लाख मैट्रिक टन अनाज केंद्र की ओर से राज्य की जनता के बीच वितरण किया गया है, जिसका सीधा लाभ 58.41 लाख जनता को प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि बिचौलियों एवं फर्जी किसानों से खरीद बंद करने के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी की मदद से किसानों से सीधे खरीद की जा रही है एवं उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से पैसे भेजे जा रहे हैं, ताकि इस समर्थन मूल्य का लाभ किसानों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा को और सशक्त बनाने के लिए एक देश एक राशन कार्ड योजना पर भी तेजी से काम किया जा रहा है, जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में अपने हक से वंचित ना हो।
चौबे ने कहा कि वर्तमान में भारत सरकार ने वन नेशन वन राशन कार्ड के सिद्धांत को भी पूर्ण रूप से लागू कर दिया है, जिसके तहत झारखंड के प्रवासी मजदूर भाइयों को भी बहुत सहायता मिल रही है एवं इसके तहत वे देश के किसी भी कोने में राशन की दुकान से निर्धारित मात्रा में खाद्यान्न का उठाव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह आधार से लिंक है ऑफिस में अंगूठे के निशान के माध्यम से खाद्यान्न का उठाव किया जाता है, जिससे हमारे गरीब झारखंड के लोगों को बहुत फायदा मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा को प्रबल करने के लिए झारखंड राज्य में भारतीय खाद्य निगम की भंडारण क्षमता 2015 में जो लगभग 2.32 लाख मेट्रिक टन थी जो अब बढ़कर 2022- 23 में 3.96 लाख मैट्रिक टन हो गई है। उन्होंने कहा कि जहां झारखंड में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन से संबंधित कार्यों को भी जमीनी स्तर पर उतारा जा रहा है।
झारखंड में हाथी-मानवों का संघर्ष ज्यादा
उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों की तुलना में झारखंड में हाथी और मानवों के बीच संघर्ष का आंकड़ा बीस गुना ज्यादा है। राज्य सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिये और कदम उठाने चाहिये। हाथियों के कॉरिडोर के मसले पर विशेष ध्यान देना होगा। देश में 33 एलिफेंट कॉरिडोर हैं जिनमें से एक झारखंड में भी है।कर्नाटक में हाथी-मानव के संघर्ष में मृतक के परिजन को 15 लाख रुपये तक दिए जाते हैं पर झारखंड में महज चार लाख। इसे कम से कम पांच लाख किया जाना चाहिये। भारत पूरी दुनिया में वन्य जीव संरक्षण में रोल मॉडल बन कर उभरा है और प्रधानमंत्री के दूरदर्शी सोच की वजह से आज प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलिफेंट, प्रोजेक्ट लायन, प्रोजेक्ट चीता की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में भी जैव विविधता बनाए रखने पर चर्चा हो रही है।

चौबे ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना के तहत राज्य में धनबाद शहर को चुना गया है एवं 2019-20 से 2021-22 तक कुल 6 करोड़ की राशि आवंटित की गई है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए राज्य के 3 शहरों धनबाद, जमशेदपुर और रांची को चुना गया है, इसके लिए 4 वर्षों के लिए 279.4 4 करोड़ की राशि आवंटित की गई है। चौबे ने कहा कि नगर वन योजना के तहत झारखंड सरकार द्वारा 33 प्रस्ताव भेजे गए जिसमें भारत सरकार ने 6 प्रस्ताव का अनुमोदन किया है एवं 2021-22 के लिए कूल 399. 02 लाख रुपये की राशि आवंटित की है जिससे रांची, धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो, हजारीबाग और गिरिडीह लाभान्वित हुए हैं।

AUTHOR :Parul Kumari

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