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कुनो पार्क में नामीबिया से लाई गई मादा चीता "साशा" की मौत

मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाई गई मादा चीता "साशा" की मौत

मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाई गई मादा चीता "साशा" की मौत हो गई। पीसीसीएफ रमेश के गुप्ता ने "साशा" की मौत होने की पुष्टि की है। बताया गया है कि वह करीब कई दिनों से बीमार थी। उसकी किडनी में इन्फेक्शन हो गया था, जिसके सोमवार सुबह साढ़े 8 बजे उसने दम तोड़ दिया। साशा की उम्र पांच साल थी।
हालांकि, कूनो पार्क प्रबंधन अभी साशा की बीमारी को लेकर कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। बताया जा रहा है कि साशा कई दिनों से बीमार चल रही थी। साशा की मौत से देश के चीता प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। कूनो पार्क सहित वन विभाग साशा की मौत से सकते में हैं।
वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया ने बताया कि मादा चीता साशा सुबह मृत अवस्था में मिली है, लेकिन उसकी मौत कब हुई, यह फिलहाल नहीं बताया जा सकता है। भोपाल से फॉरेस्ट और वेटनरी डॉक्टरों की एक टीम कूनो पहुंच गई है।
बताया गया है कि 23 जनवरी को चीता साशा बीमार हो गई थी। जिसके इलाज के लिए भोपाल से वेटनरी डॉक्टरों की टीम कूनो पहुंची थी। डॉक्टरों ने उसकी किडनी में इंफेक्शन होना बताया था। वन विहार से पहुंची एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम मादा चीता को अपनी देख-रेख में लेकर उसका इलाज कर रही थी। इलाज के बाद उसकी हालत में सुधार भी आया था।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर पिछले साल 17 सितम्बर को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनों राष्ट्रीय उद्यान में रिलीज किया था। इनमें साशा भी शामिल थी। इसके बाद इसी साल 18 फरवरी को दूसरे चरण में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए थे। इन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान के बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद कूनो में चीतों की संख्या 20 हो गई थी। लेकिन साशा की मौत के बाद अब यहां चीतों की संख्या घटकर 19 हो गई है।
गौरतलब यह भी है कि नामीबिया चीते आने के बाद कूनो नेशनल पार्क में पर्यटनों की संख्या में इजाफा हुआ है। यहां भालू, चीतल, लकड़बग्घा, हिरणों से लेकर कई वन्यजीव यहां हजारों की तादाद में हैं। वन्य जीवों के अलावा कूनों सेंक्चुरी में कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी व जलीय जीव भी हैं, जिन्हें देख राष्ट्रीय स्तर के पर्यटक मुग्ध हो जाते हैं।

AUTHOR :Parul Kumari

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