You will be redirected to an external website

जनरल मनोज पांडे ने कहा- भारतीय सेना ने रूस-यूक्रेन युद्ध से कई सबक सीखे

भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने बुधवार को रूस-यूक्रेन संघर्ष से सीखे गए सबक पर प्रकाश डाला

भारत ने रूस-यूक्रेन संघर्ष से कई सबक सीखे हैं, जिसमें यूक्रेनी एंटी-शिप मिसाइलों से रूसी युद्धपोतों के डूबने जैसी घटनाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले फिर से एक बार युद्ध में जमीनी सेना की भूमिका निर्णायक और प्रासंगिक होने की बात सच साबित हुई है, इसलिए 'युद्ध की अवधि' पर धारणाओं का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है। यूक्रेन की एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों से रूसी युद्धपोत मोस्कवा का काला सागर में डूबना बड़ी घटना है, जिससे पता चलता है कि समुद्री डोमेन में भी हथियार प्लेटफॉर्म कम लागत वाली रक्षात्मक प्रणालियों की तुलना में पहले से कहीं अधिक कमजोर हैं।

भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने बुधवार को रूस-यूक्रेन संघर्ष से सीखे गए सबक पर प्रकाश डाला।सेना प्रमुख ने नई दिल्ली में डेफ-टेक इंडिया सम्मेलन में भारत की प्रादेशिक क्षमताओं और प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की। जनरल मनोज पांडे ने कहा कि चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष से कठोर शक्ति, युद्ध की अवधि, सटीक हमले, सूचना संचालन और ग्रे-ज़ोन की आक्रामकता जैसे मूल्यवान सबक मिले हैं। कई स्तरों पर सूचना संचालन ने नया आयाम ग्रहण किया है और यह भी पता चला है कि युद्ध जीतने के लिए योग्यताएं और समर्पित रणनीतियां भी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सबसे पहले फिर से एक बार युद्ध में जमीनी सेना की भूमिका निर्णायक और प्रासंगिक होने की बात सच साबित हुई है, इसलिए 'युद्ध की अवधि' पर धारणाओं का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है। 'शॉर्ट स्विफ्ट वॉर' एक त्रुटिपूर्ण धारणा साबित हो सकती है और हमें लंबी अवधि के लिए भी पूर्ण स्पेक्ट्रम संघर्ष के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। लंबी दूरी के सटीक हमलों ने साबित कर दिया है कि दूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं देती है। ग्रे जोन आक्रामकता तेजी से तकनीकी प्रगति के साथ पसंदीदा रणनीति बनती जा रही है। हमें ऐसे हमलों को न केवल नकारने या कम करने के लिए क्षमताओं की जरूरत है, बल्कि इसके बजाय विरोधी को हमेशा के लिए प्रतिक्रियात्मक मोड में रखना है।

जनरल पांडे ने यह भी कहा कि वायु शक्ति अब केवल मानवयुक्त विमानों का संरक्षण नहीं रह गया है, बल्कि ड्रोन, लोइटर युद्ध सामग्री और मानवयुक्त मानव रहित प्रणालियों के प्रसार ने वायु क्षेत्र को लोकतांत्रिक बना दिया है। उन्होंने कहा कि वायु श्रेष्ठता और यहां तक कि एक अनुकूल वायु स्थिति को प्राप्त करना अत्यंत कठिन हो गया है। वाणिज्यिक उपकरणों के शस्त्रीकरण, डिजिटल, संचार, साइबर, अंतरिक्ष और विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम ने युद्ध के मैदान को खतरनाक रूप से पारदर्शी बनाने और उन्नत हथियारों को पेश करने से लेकर प्रगति तक नए रणनीतिक क्षेत्र के रूप में उभरा है।

सेना प्रमुख ने रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से सीखे गए सबक के बारे में बात करते हुए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्व पर बल दिया और युद्ध लड़ने वाली प्रणालियों में प्रौद्योगिकी के समावेश का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमारे परिवर्तन की इमारत के रूप में पांच स्तंभ हैं, जिनमें से एक आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी सम्मिश्रण है। इस प्रयास के तहत खुद को आधुनिक, प्रौद्योगिकी संचालित, आत्मनिर्भर और युद्ध योग्य बल में बदलने के लिए बड़ी पहल की जा रही है, ताकि हम अपने परिचालन जनादेश को अधिक प्रभावी ढंग से निष्पादित कर सकें।

AUTHOR :Parul Kumari

अमृतसर-में-पुलिस-से-भिड़े-हजारों-खालिस्तान-समर्थक,-अपने-साथी-के-विरोध-में-उठाये-बंदूक-व-तलवार Read Previous

अमृतसर में पुलिस से भिड़...

Read Next

सहकारिता आधारित आर्थिक ...