गुजराज विधानसभा
गुजरात के प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से गुजराती भाषा की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए मंगलवार को गुजरात विधानसभा में अनिवार्य गुजराती भाषा की शिक्षा और अभ्यास संबंधित विधेयक 2023 पारित कर दिया गया। इसके तहत कक्षा 1 से 8 तक के सभी बोर्ड के सभी विद्यार्थियों को गुजराती भाषा अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाएगी। इस कानून के प्रावधानों को भंग करने पर स्कूल संचालकों को दी गई मान्यता जहां रद्द की जा सकेगी, वहीं 2 लाख रुपए तक जुर्माना भी वसूला जाएगा। सरकार मान्यता प्राप्त पाठ्य-पुस्तकों के जरिए विद्यार्थियों को गुजराती भाषा सिखाएगी।
स्कूलों ने नहीं माना सरकार का आदेश, इसलिए सख्त कानून
गुजरात विधानसभा में मंगलवार को राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ कुबेरभाई डिंडोर ने बताया कि गुजराती भाषा राज्य की आधिकारिक भाषा होने के बावजूद कई स्कूलों में गुजराती भाषा को एक विषय के रूप में भी नहीं पढ़ाया जाता है। इसके कारण राज्य के निवासी अपनी आधिकारिक भाषा से भी वंचित रहते हैं। इस परिस्थिति से छुटकारे के लिए गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग ने 13 अप्रैल, 2018 को प्रस्ताव पारित कर राज्य के गुजराती माध्यम के अलावा सभी स्कूलों में वर्ष 2018 से कक्षा 1 और 2, वर्ष 2019 में कक्षा 3, वर्ष 2020 में कक्षा 4 और इसी तरह कक्षा 8 तक गुजराती भाषा की अनिवार्य रूप से पढ़ाई का आदेश जारी किया था। इसका दूसरे बोर्ड के स्कूलों ने पालन नहीं किया, इसलिए सरकार इस संबंध में कड़े कानून के जरिए इसे लागू कराने को विवश हो गई है।
मातृभाषा व भारतीय संस्कृति को केन्द्र में रखकर चुनें दूसरी भाषा
इस कानून के लाने के पीछे शिक्षा मंत्री ने विभिन्न अध्ययन और रिपोर्ट का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है, जिसमें एक गुजराती भी है। गुजराती भाषा में प्राचीन और आधुनिक भाषा का विशाल भंडार है। इस भाषा में फिल्म, संगीत और साहित्य भारत की राष्ट्रीय धरोहर और पहचान है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोठारी कमीशन-1964 ने त्रिभाषा सूत्र को लागू करने की सिफारिश की थी। इसी तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी एक के अतिरिक्त एक अन्य भाषा सिखाने की सिफारिश की गई थी। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा और भारतीय संस्कृति दोनों को केन्द्र में रखकर अन्य भारतीय भाषा के चयन दूसरे भाषा के तौर पर करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि पंजाब, तेलंगाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु आदि राज्यों में भी उनकी प्रादेशिक भाषा में पढ़ाने का कानून पारित किया गया है।
1 साल से अधिक समय तक कानून उल्लंघन करने पर मान्यता रद्द होगी
विधेयक में किए गए सख्ती संबंधी प्रावधानों पर मंत्री ने बताया कि गुजरात के बाहर के विद्यार्थी यदि गुजराती माध्यम के स्कूल में पढ़ते हैं तो उनके अभिभावकों की लिखित आवेदन पर उन्हें इससे मुक्ति दी जा सकती है। इसके अलावा कानून का उल्लंघन करने वालों को पहली बार 50 हजार रुपए, दूसरी बार 1 लाख और तीसरी बार 2 लाख रुपए का जुर्माना देना हेागा। कोई स्कूल यदि एक वर्ष से अधिक समय तक इस कानून का उल्लंघन करेगा तो उसकी मान्यता भी रद्द करने की भी कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों को भी गुजराती भाषा का ज्ञान हो: तुषार चौधरी
कांग्रेस विधायक तुषार चौधरी ने कहा कि उन्होंने कक्षा 12वीं तक गुजराती पढ़ी है। बाद में उन्हें अंग्रेजी भाषा सीखनी पड़ी। आज के युग में अभिभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी की ओर ध्यान केन्द्रित करवा रहे हैं। आज बच्चे गुजराती नहीं पढ़ सकते हैं। गुजराती भाषा के विकास के बगैर गुजरात का विकास संभव नहीं है। अधिकारियों को भी गुजराती भाषा का पर्याप्त ज्ञान होना जरूरी है।
कांग्रेस विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने किया समर्थन
गुजरात विधानसभा में गुजराती भाषा की अनिवार्यता संबंधी विधेयक का समर्थन करते हुए कांग्रेस विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि वे सरकार के इस विधेयक का समर्थन करते हैं। उन्होंने सभी विधायकों को सलाह दी कि उन्हें सरकार की ओर से बनाए गए कमांड एंड कंट्रोल रूम का दौरा करना चाहिए। उन्होंने इस कमांड एंड कंट्रोल रूम का दौरा किया तो उन्हें पता चला कि उनके जिले पोरबंदर के सभी स्कूल रेड जोन में हैं। उनके गांव के स्कूल भी रेड जोन में हैं। वे इन स्कूलों को रेड जोन से ग्रीन जोन में लाने के लिए सरकार को सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि गुजराती भाषा की चिंता करना हम सभी की जिम्मेदारी है। विधेयक पर कांग्रेस विधायक सीजे चावडा समेत किरीट पटेल, त्रिकमभाई छांगा, धवलसिंह झाला ने भी विचार व्यक्त किए।