जम्मू विश्वविद्यालय
जम्मू विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंच प्रण पर 3 दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन गुरुवार को ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह सभागार में पनुन कश्मीर के संयोजक डा. अग्नि शेखर ने पंच प्रण के अंतर्गत दूसरे प्रण के बारे में अपने विचार रखे। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार को पंचशील की जगह पंच प्रण संधि रखनी चाहिए थी क्योंकि चीन ने पंचशील संधि की धज्जियां उड़ा दी। इस संधि का नाम पंचशील की जगह अगर पंच प्रण रखा होता तो उसके सफल होने में कोई शंका नहीं थी और न ही हो सकती है क्योंकि प्रण तो प्रण है जिसे एक बार ले लिया तो तोड़ा नहीं जा सकता।
उन्होंने पंच प्रण को लेकर शहीदों को भी याद किया जिन्होंने अपनी मातृभूमि को दिए प्रण के लिए अपने जीवन तक बलिदान कर दिए। इसके बाद उन्होंने रामायण का उदाहरण देते हुए इस प्रण को समझाने का प्रयास किया कि जब श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त की तो लक्ष्मण ने श्रीराम से कहा कि इतनी बड़ी सोने की लंका है हम यही रह जाते हैं तो इसपर श्रीराम ने कहा कि चाहे जितनी भी सोने की लंका हो लेकिन अपनी मां, अपनी मातृ भूमि से कुछ बढ़ा नहीं है। स्वर्ग से बड़ी होती है मां और स्वर्ग से बड़ी होती है मातृभूमि और उस मातृभूमि के लिए प्रधानमंत्री जी ने पंच प्रण दिए हैं।
बता दें कि बुधवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पंच प्रण पर 3 दिवसीय महोत्सव ेका उद्घाटन किया था। यह कार्यक्रम जम्मू विश्वविद्यालय द्वारा हिंदुस्तान समाचार न्यूज एजेंसी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और जम्मू के क्लस्टर विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। शुक्रवार यानि 7 अप्रैल को इस पंच प्रण उत्सव का समापन होगा। समापन समारोह भी ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह सभागार में होगा। इसमें जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव ऐ.के. मेहता मुख्यातिथि होंगे।