बर्बाद हो रही गेहूं की फसल
बीते चार दिन से लगातार हो रही बेमौसम की बरसात ने किसानों की रातों की नींद और दिन का चैन छीन लिया है। ग्राम सभा खदरी खड़क माफ के जैव विविधता समिति के अध्यक्ष और स्थानीय कृषक विनोद जुगलान ने बताया कि अपनी उपजाऊपन के लिए विख्यात खड़क माफ के खादर क्षेत्र में बीते रविवार से निरन्तर हो रही बेमौसम की तेज बारिश से गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। तीन सौ वर्षों से भी पुराने गंगा नदी के तटीय क्षेत्र खादर में लगभग आठ सौ से अधिक क्षेत्रफल में खेती की जाती है लेकिन वर्ष उन्नीस सौ अस्सी में राजाजी नेशनल पार्क के गठन के बाद से यहां के किसानों की समस्याओं ने उनकी आर्थिकी को तोड़ कर रख दिया है।
एक ओर वन्यजीव फसलों को चौपट कर रहे हैं तो दूसरी ओर बरसात में सौंग नदी की बाढ़ से कृषि भूमि लगातार बह यानी कटाव हो रहा है। इस बार लगातार दो दिन से हो रही आफत की इस बारिश से सैकड़ों बीघा भूमि में खड़ी गेहूं की फसल गिर गयी है। डोईवाला विकास खण्ड के श्यामपुर न्याय पंचायत क्षेत्र अंतर्गत लगभग सोलह गांवों में खदरी,श्यामपुर,भट्टोवाला, खैरी,गोहरी माफी रायवाला,मोतीचूर से लेकर छिद्दरवाला साहब नगर चक जोगी वाला तक भारी मात्रा में गेहूं की फसल क्षतिग्रस्त हुई है। इसका जायजा स्थानीय प्रशासन को लेना चाहिए।
बेमौसम की इस बरसात का प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित है। पर्यारण में लम्बे समय से कार्य रहे जुगलान का कहना है कि इसके लिए प्रकृति को दोष देकर हम मुक्त नहीं होसकते। हमें वनों का असन्तुलित दोहन करके ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि मानव को जलवायु परिवर्तन से असामयिक बारिश, बाढ़ और सूखे की स्थिति झेलनी पड़ रही है। विश्व वानिकी दिवस पर हम संकल्प लें कि विकास के नाम पर काटे जाने वाले पेड़ों से पहले उनके बदले में अन्यत्र दस गुना अधिक और पेड़ों का रोपण और संरक्षण किया जाए। वरना आने वाले समय में तापमान अत्यधिक बढ़ने जहां एक ओर वनाग्नि की घटनाओं में वृद्धि की संभावना है वहीं दूसरी ओर ग्लेशियर पिघलने के कारण असामयिक बाढ़ की स्थिति भी पैदा हो सकती हैं।मैदानी क्षेत्रों में सूखे की स्थिति से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।