भारतीय तट रक्षक का कोलकाता में कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव
भारतीय तट रक्षक ने कोलकाता में कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव के तत्वावधान में टेबल टॉप अभ्यास का चौथा संस्करण आयोजित किया। इसमें भारतीय तट रक्षक के अलावा, बांग्लादेश, मालदीव, मॉरीशस, सेशेल्स, श्रीलंका और समुद्री क्षेत्र में राष्ट्रीय हितधारकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्राम का उद्घाटन भारतीय तटरक्षक बल (कोस्ट गार्ड, उत्तर पूर्व) के आईजी इकबाल सिंह चौहान और सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। चौहान ने सभी का स्वागत किया और आपसी सहयोग पर जोर दिया।
इस मौके पर आईजी इकबाल सिंह ने कहा, समुद्री पड़ोसियों के बीच समन्वय और सहयोग हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा की कुंजी है। प्रधानमंत्री का क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास का दृष्टिकोण- सागर और पड़ोस पहले नीति आईओआर के लिए प्रमुख पहल है और भारत की नीतिगत प्राथमिकताओं की गवाही देती है। समुद्री चुनौतियों का समाधान करने के लिए आईओआर के समुद्री पड़ोस में एक सहकारी वातावरण और सहयोगी तंत्र आवश्यक है जिससे समुद्री सुरक्षा, सुरक्षा और समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव का गठन वर्ष 2011 में भारत, श्रीलंका और मालदीव के त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा समूह के रूप में किया गया था। वर्ष 2022 में गतिविधियों के रोडमैप का और विस्तार किया गया और सदस्य देशों यानी भारत, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस ने बांग्लादेश और सेशेल्स के साथ पर्यवेक्षक देशों के रूप में भाग लिया।
इस दौरान प्रस्तुतियों के अलावा, समुद्री क्षेत्र में चुनौतियों से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। राष्ट्र विरोधी तत्वों के खतरों से निपटना, समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया, खोज और बचाव और समुद्र में क्षति पर कैसे नियंत्रण पाया जा सकता है। इसके बाद सभी हितधारकों को शामिल करते हुए एक टेबल टॉप अभ्यास आयोजित किया गया।
कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव हिंद महासागर क्षेत्र में सभी तटीय देशों से संबंधित क्षेत्रीय सहयोग और साझा सुरक्षा उद्देश्यों को रेखांकित करता है। इसका उद्देश्य क्षेत्र के लिए समुद्री सुरक्षा, समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया और समुद्री खोज और बचाव प्राथमिकताएं बनाना है। छह हिंद महासागर क्षेत्र के देशों का एक साथ आना एक सामान्य समुद्री और सुरक्षा मंच पर उप-क्षेत्रवाद के विकास का संकेत देता है और व्यापक वैश्विक संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है।