कुशीनगर अन्तर-राष्ट्रीय एयरपोर्ट
कुशीनगर अन्तर-राष्ट्रीय एयरपोर्ट से घरेलू विमानों की संख्या बढ़ने और अन्तर-राष्ट्रीय उड़ान शुरू होने में आईएलएस बड़ी बाधा बन रहा था। अब यह बाधा दूर हो गई है। एयरपोर्ट पर रूस से आईएलएस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) की मशीनरी शुक्रवार शाम को पहुंच गई। दूसरी तरफ एयरपोर्ट के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने फाउंडेशन का काम भी शुरू कर दिया है। तीन माह के भीतर आईएलएस कार्य करना शुरू कर देगा। जिसके बाद देश विदेश के विमान निर्बाध रूप से किसी भी समय किसी भी मौसम में एयरपोर्ट पर लैंड व टेक आफ कर सकेंगे।
मार्च में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एयरपोर्ट पर आईएलएस की स्थापना के लिए 4.25 करोड़ की निविदा जारी की थी। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में निविदा खोली गई। चयनित कम्पनी को कार्य पूर्ण करने के लिए चार माह का समय दिया गया है। सिविल के कार्य के बाद इलेक्ट्रिकल व मशीनरी के कार्य होंगे।
आईएलएस लग जाने के बाद कोहरा, बारिश व अंधेरी रात व प्रतिकूल मौसम में भी विमान स्वचालित मोड में रन-वे पर लैंड व टेक आफ कर सकेंगे। साथ ही एयरपोर्ट की ग्रेडिंग अपग्रेड होने से घरेलू व अन्तर-राष्ट्रीय उड़ान सेवा शुरू करने के लिए देशी विदेशी विमानन कम्पनियां आकर्षित होंगी। निदेशक आर पी लंका ने बताया कि बहुत जल्द एयरपोर्ट अन्तर-राष्ट्रीय मानक के अनुरूप हो जाएगा।
संचार प्रणाली में भी आत्मनिर्भरता आयेगी
आईएलएस के साथ हाई फ्रीक्वेंसी नेविगेशनल सिस्टम डीवीओआर (वेरी हाई फ्रीक्वेंसी ओमनी रेंज डाप्लर रडार) भी लग रहा है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने डीवीओआर के लिए 1.20 करोड़ की निविदा जारी की थी। इस सिस्टम के लग जाने से एयरपोर्ट अन्तर-राष्ट्रीय मानक के अनुरूप संचार प्रणाली के मामले में आत्मनिर्भर हो जायेगा। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) व विमान के मध्य कम्युनिकेशन डीबीओआर के माध्यम से होता है। एयरपोर्ट के एटीसी को पायलट से बातचीत के लिए गोरखपुर एटीसी का सहारा लेना होता था। अब यह समस्या भी दूर हो जायेगी।
लाइसेंस हो जाएगा अपग्रेड
एयरपोर्ट निदेशक राजेन्द्र प्रसाद लंका ने बताया कि आईएलएस व डीबीओआर सिस्टम लग जाने के बाद एयरपोर्ट का लाइसेंस विजीविलिटी फ्लाइंग रेगुलेशन(वीएफआर) कैटेगरी में है। आईएलएस लग जाने के बाद इंस्ट्रूमेंट फ्लाइंग रेगुलेशन(आईएफआर) कैटेगरी में लाइसेंस अपग्रेड कर जायेगा। जिसके बाद वैश्विक विमानन कम्पनियां उड़ान शुरू करने के लिए आकर्षित होंगी और घरेलू विमानों की संख्या भी बढ़ जाएगी।