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मप्र को फिर मिल सकता है टाइगर स्टेट का दर्जा, गिने गए हैं 711 बाघ

प्रोजेक्ट टाइगर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में रविवार को मैसुरु में आयोजित एक समारोह में बाघों की गणना के नए आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक देश में बाघों की संख्या बढ़कर 3167 हो गई है। साल 2006 में यह संख्या 1411 थी। बाघ आकलन-2022 में हालांकि राज्यवार बाघ गणना रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन मप्र को एक बार फिर से टाइगर स्टेट का तमगा हासिल हो सकता है। राज्य के वनाधिकारी बताते हैं कि पिछली गणना 526 के मुकाबले इस बार मप्र में 711 बाघ गिने गए हैं।
वनाधिकारियों के मुताबिक, देश में बढ़े बाघों की संख्या में मध्य प्रदेश में बढ़े बाघों की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। पिछली गणना में मध्य प्रदेश 526 बाघ के साथ देश में पहले पायदान पर था, जबकि 524 बाघों के साथ कर्नाटक को दूसरा स्थान हासिल हुआ था। इस बार प्रदेश में 711 बाघ होने की जानकारी सामने आई है। हालांकि, यह अंतिम आंकड़े नहीं हैं, फिर भी वनाधिकारी आश्वस्त हैं कि मप्र का टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रहेगा। वनाधिकारी बताते हैं कि अभी वैज्ञानिक पद्धति से परीक्षण के बाद जारी होने वाले आंकड़ों में अंतर आ सकता है। प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों में भी 15 प्रतिशत तक बाघ बढ़ने के प्रमाण मिले हैं। मप्र में बाघों का यह आंकड़ा देश में सर्वाधिक होने की उम्मीद को इससे भी बल मिलता है।

नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 तक देशभर में हुई थी बाघों की गणना
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की निगरानी में नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 तक देशभर में बाघों की गिनती कराई गई थी। मध्य प्रदेश में यह गिनती अक्टूबर 2022 तक चली थी। दरअसल, यहां 8852 बीटों में गिनती होनी थी, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। इसके लिए 30 हजार कर्मचारी लगाए गए। वहीं बाघ संभावित क्षेत्रों में पांच हजार ट्रैप कैमरों को चार बार में लगाकर गिनती कराई गई।
उल्लेखनीय है कि देश में 3167 बाघ होने का आंकड़ा उन बाघों का है, जिनके फोटो ट्रैप कैमरे से लिए गए हैं। ट्रांजिट लाइन खींचकर गिने गए बाघों का आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है। इससे आंकड़ों में अभी फेरबदल होगा।
साल 2018 की गणना के मुताबिक टाइगर स्टेट का खिताब मध्यप्रदेश के पास है। देश में किस प्रदेश में कितने बाघ हैं, इसका खुलासा 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के दिन होगा। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मध्यप्रदेश में कुल 711 बाघों की जानकारी की प्रारंभिक जानकारी केंद्र को भेजी गई है। साइंटिफिक रिपोर्ट के बाद बाघों की स्थिति साफ होगी।

सात साल में 189 बाघों ने तोड़ा दम
टाइगर स्टटे मप्र में बाघों के मौत के आंकड़े भी कम नहीं है। वन विभाग के मुताबिक बीते सात सालों में प्रदेश में अलग-अलग कारणों से 189 बाघों ने दम तोड़ा है। इनमें सौ से अधिक बाघों की मौत आपसी वर्चस्व की लड़ाई में हुई। वाइड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे का कहना है कि वन विभाग बाघों की सामान्य और वर्चस्व की लड़ाई में हुई मौत को एक मानता है। लेकिन, बाघों के आपसी संघर्ष को रोका जा सकता है।

मप्र में क्षमता से ज्यादा बाघ
आश्यर्चजनक बात यह भी है कि मध्यप्रदेश में क्षमता के अधिक बाघ हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 124 बाघ मौजूद हैं, जबकि इसकी क्षमता 75 बाघों की है। इसी प्रकार पेंच टाइगर रिजर्व में 50 बाघों की क्षमता के विपरीत 82 बाघ हैं। प्रदेश में ऐसे ही हालात अन्य टाइगर रिजर्व के हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार चार नए अभयारण्य को बनाने की तैयारी भी कर रही है।

AUTHOR :Parul Kumari

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