प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
यूक्रेन युद्ध के चलते पश्चिमी देशों और रूस-चीन के बीच कायम मतभेदों के बीच जी20 विदेश मंत्रियों की औपचारिक बैठक आज नई दिल्ली में शुरू हो गई । बैठक की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वीडियो संदेश से हुई, जिसमें उन्होंने दुनिया भर से आए विदेश मंत्रियों से एकजुट होकर मानवता के समक्ष खड़ी चुनौतियों का समाधान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह बैठक एक वैश्विक संकट के बीच हो रही है, जिसको लेकर देशों के बीच अपने अपने मत हैं। हमें आपस में बांटने वाले इन मतभेदों को से उन फैसलों को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए, जिन पर हम मिलकर निर्णय ले सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध का उल्लेख करते हुए दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों से विकासशील देशों की समक्ष पैदा हुए खाद्य और ऊर्जा संकट को तलाशने की अपील की।
बैठक से पूर्व विदेश मंत्री और इन बैठकों की अध्यक्षता कर रहे डॉ जयशंकर ने सभी मेहमान नेताओं का औपचारिक स्वागत किया। मेहमान नेताओं का दुनिया भर से देर रात तक आगमन जारी रहा। बुधवार रात्रि को जी 20 विदेश मंत्रियों और अन्य नेताओं को भी राष्ट्रपति भवन में रात्रिभोज आयोजित किया गया था। चीन के विदेश मंत्री और अमेरिका के विदेश मंत्री देरी से पहुंचने के कारण इस रात्रिभोज में शामिल नहीं हुए।
दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के संगठन जी20 के विदेश मंत्री गुरुवार को भारत की अध्यक्षता में वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। यह किसी भी जी20 अध्यक्षता में आयोजित होने वाले विदेश मंत्रियों की सबसे बड़ी बैठकों में से एक होगी।
जी20 की भारत की अध्यक्षता में अब तक आयोजित होने वाली यह दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक है। इससे पहले बेंगलुरु में पहली मंत्रिस्तरीय बैठक संपन्न हुई थी, जिसमें जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स शामिल हुए थे।
विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर दो सत्रों की अध्यक्षता करेंगे। पहला सत्र तीन प्रमुख उप-विषयों पर केंद्रित होगा: बहुपक्षवाद; खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा; और विकास सहयोग। दूसरा सत्र चार या पांच अन्य प्रमुख मुद्दों पर केंद्रित होगा। उनमें से एक नए और उभरते खतरों पर ध्यान केंद्रित होगा। इसमें आतंकवाद का मुकाबला करना, नशीले पदार्थों का मुकाबला करना शामिल होगा। वैश्विक कौशल पर अधिक विकासोन्मुख विचार, वैश्विक प्रतिभा पूल, और मानवीय सहायता व आपदा जोखिम में कमी से संबंधित प्रश्नों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।