ईट राइट मिलेट मेला-2023 में मुशायरा
शहर के जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार ने अपना यह शेर ’कमी थोड़ी जरूर अपनी चाह में रखना, समेट कर दुनिया भले ही बांह में रखना। परवाज खत्म करके तुम्हें लौटना भी है, परिंदों कोई टहनी निगाह में रखना’ पढ़ा तो श्रोता वाह-वाह करने लगे। जिलाधीश मंगलवार को लखनऊ के गोमती नगर की चटोरी गली में आयोजित दो दिवसीय ईट राइट मिलेट मेला-2023 में हुए मुशायरा में अपना कलाम पेश कर रहे थे। मेले में 2023 में मिलेट वर्ष को देखते हुए वहां मोटे अनाज व अनाज से बने हुए स्वादिष्ट पकवान मिल रहे थे। इसके अलावा मिठाई, चाट तंदूरी चाय सहित अन्य स्टाल भी लगे हुए थे। मुशायरे से पहले यहां पर गायिका डॉ. मेनका मिश्रा का भजन एवं लोक गायन, अर्चना तिवारी का कथक व सबीना सैफी का भजन एवं लोक गीत प्रस्तुत हुआ। समारोह का संचालन वंदना शुक्ला ने किया। समारोह का आयोजन खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन विभाग और उ.प्र. संस्कृति विभाग की ओर से किया जा रहा है।
शायर संजय मिश्रा शौक की सदारत व नदीम फ़र्रुख़ की निजामत हुए मुशायरे में अन्य नामचीन शायरो ने अपने कलाम पेश किए। हाशिम फ़िरोज़ाबादी ने अपने वतन से मोहब्बत का इजहार करते यूं पढ़ा कि ’जो न अब तक हुआ कर दिखायेंगे हम, ग़ैर को भी गले से लगायेंगे हम। अपने हिन्दोस्तां को ख़ुदा की क़सम, फिर से सोने की चिड़िया बनायेंगे हम’।
नदीम फ़र्रुख पढ़ा कि ’आज फिर चाय की मेज़ पर एक हसरत बिछी रह गई’
प्यालियों ने तो लब छू लिये केतली देखती रह गई’। श्रोताओं ने इस शायरी पर ठहाके लगाए। सदारत कर रहे संजय मिश्रा शौक ने पढ़ा कि ’बुझे चराग बताते हैं मेरी चौखट के’ यहां पे मौत हुई है बहुत उजालों की। इसके अलावा कलाम पेश करने वालों में डॉ. कलीम कैसर, पापुलर मेरठी, इकबाल अशहर, डॉ. सबा बलरामपुरी, संज्जाद झंझट ने भी अपने कलाम पेश किए।