नेपाल की दस दलीय संयुक्त सरकार
नेपाल की दस दलीय संयुक्त सरकार ने न्यूनतम सामान्य कार्यक्रम में पड़ोसी देशों के साथ लंबित सीमा मुद्दों को कूटनीतिक माध्यम से हल करने के मुद्दे का उल्लेख किया है। गुरुवार को नेपाल के प्रशासनिक केंद्र सिंहदरबार में घोषित संयुक्त कार्यक्रम में यह भी कहा गया है कि सीमा के प्रभावी प्रबंधन और नियमन पर सीमा सुरक्षा चौकी (बीओपी) बढ़ाई जाएगी।
प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की मौजूदगी में सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने घोषित संयुक्त कार्यक्रम की जानकारी देते हुए लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के नामों का भी जिक्र किया। यह क्षेत्र भारत के नियंत्रण में है लेकिन नेपाल ने इसे अपने नक्शे में शामिल कर लिया है।
संयुक्त कार्यक्रम में भारत और चीन दोनों का जिक्र करके कहा गाय है कि पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद के मुद्दे को सुलझाया जाना बाकी है। नेपाल की सीमा पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में भारत और उत्तर में चीन से सटी है। दोनों देशों के साथ सीमा विवाद का समाधान होना अभी बाकी है ।
न्यूनतम साझा कार्यक्रम में कहा गया है कि नेपाल बिजली निर्यात के लिए पड़ोसी देशों के साथ बहुपक्षीय संवाद को भी आगे बढ़ाएगा। नेपाल भारत के जरिए बांग्लादेश को बिजली निर्यात करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए वह भारत और बांग्लादेश दोनों से चर्चा करके उच्च क्षमता वाली बिजली पारेषण लाइन जोड़ने का प्रयास कर रहा है।
नेपाल की भूमि का उपयोग किसी देश के विरुद्ध नहीं होने का उल्लेख करते हुए न्यूनतम साझा कार्यक्रम में कहा गया है कि वह सार्क, बिम्सटेक, आईबीबीएन जैसे क्षेत्रीय संगठनों को गतिशील बनाने में प्रभावी भूमिका निभाएगा।
कार्यक्रम में बताया गया है कि ट्रांजिशनल जस्टिस (संक्रमणकालीन न्याय) से जुड़े बाकी काम 2 साल के भीतर पूरे कर लिए जाएंगे। हाल ही में, नेपाल में हिंदू राष्ट्र, राजशाही और संघवाद के उन्मूलन के पक्ष में गतिविधियां बढ़ रही हैं, सरकार के न्यूनतम सामान्य कार्यक्रम की पहली संख्या गणतंत्र की मजबूती और संघवाद के कार्यान्वयन को कहा गया है।
न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर प्रधानमंत्री एवं सीपीएन (एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड, नेपाली कांग्रेस के सभापति शेर बहादुर देउबा, सीपीएन (यूएस) के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल, जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव, लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष महंत ठाकुर, नेपाल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष डॉ. बाबूराम भट्टराई, जनमत पार्टी के अध्यक्ष सीके राउत, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी की अध्यक्ष रंजीता श्रेष्ठ, आम जनता पार्टी के अध्यक्ष प्रभु शाह और राष्ट्रीय जनमोर्चा के अध्यक्ष चित्र बहादुर केसी ने हस्ताक्षर किए।