प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि स्वामी विवेकानंद के पास भारत के लिए एक भव्य दृष्टि थी। आज मुझे यकीन है कि वह भारत को अपने विजन को पूरा करने के लिए काम करते हुए गर्व से देख रहे होंगे। उनका सबसे केंद्रीय संदेश अपने और अपने देश में विश्वास के बारे में था। आज कई विशेषज्ञ कह रहे हैं, 'यह भारत की सदी है'!
प्रधानमंत्री आज चेन्नई में श्री रामकृष्ण मठ की 125वीं वर्षगांठ समारोह को संबोधित कर रहे थे। स्वामी रामकृष्णानंद ने 1897 में चेन्नई में श्री रामकृष्ण मठ की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि आज का भारत महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में विश्वास करता है। चाहे स्टार्टअप हो या खेल, सशस्त्र बल हो या उच्च शिक्षा, महिलाएं बाधाओं को तोड़ रही हैं और नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने अगले 25 साल को अमृत काल बनाने की ठान ली है। इस अमृत काल का उपयोग पांच विचारों ‘पंच प्राणों’ को आत्मसात करके महान चीजों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। इनमें एक विकसित भारत का लक्ष्य, औपनिवेशिक मानसिकता के किसी भी निशान को हटाना, अपनी विरासत का जश्न मनाना, एकता को मजबूत करना और अपने कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें तमिल भाषा, तमिल संस्कृति और चेन्नई की जीवंतता पसंद है। आज, विवेकानंद हाउस जाने का अवसर मिला। पश्चिम की अपनी प्रसिद्ध यात्रा से लौटने पर स्वामी विवेकानंद इसी स्थान पर रुके थे। यहां ध्यान लगाना एक विशेष अनुभव है। उन्होंने कहा, वह यहां आकर "प्रेरित और ऊर्जावान" महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, “रामकृष्ण मठ ने मेरे जीवन में अहम भूमिका निभाई है। मुझे तमिल भाषा, तमिल संस्कृति और चेन्नई की जीवंतता से प्यार है।” उन्होंने आगे कहा, “राम कृष्ण मठ एक ऐसी संस्था है जिसका मैं गहरा सम्मान करता हूं। इसने मेरे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, नर्सिंग और ग्रामीण विकास जैसे कई अलग-अलग क्षेत्रों में तमिलनाडु की सेवा कर रहा है।”
देश भर के लोगों में हजारों वर्षों से एक राष्ट्र के रूप में भारत की स्पष्ट अवधारणा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद बंगाल से थे, और उनका तमिलनाडु में एक नायक की तरह स्वागत किया गया। यह भारत के स्वतंत्र होने से बहुत पहले हुआ था। देश भर के लोगों में हजारों वर्षों से एक राष्ट्र के रूप में भारत के बारे में एक स्पष्ट अवधारणा थी। यही 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना है!