भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने शुक्रवार को ‘टेलीविजन प्रसारण क्षेत्र में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने’ पर अपनी सिफारिशें जारी की हैं।
उपकरण निर्माण में भारत की वास्तविक क्षमता का आकलन करने के उद्देश्य से प्राधिकरण सभी हितधारकों की टिप्पणी प्राप्त करने के लिए दो साल पहले स्वप्रेरणा से एक परामर्श पत्र जारी किया था। परामर्श प्रक्रिया के दौरान हितधारकों से प्राप्त सभी टिप्पणियों और मुद्दों के आगे विश्लेषण के बाद प्राधिकरण ने अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दिया है।
इन सिफारिशों के अनुसार लीनियर सेट-अप बॉक्स को पीएलआई योजना के तहत लाया जाना चाहिए। चिपसेट सहित प्रसारण उपकरण के लिए आवश्यक स्वदेशी घटकों की उपलब्धता की समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए। सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम की तर्ज पर क्षेत्र के अन्य प्रासंगिक घटकों के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए।
इसके अलावा इसमें सिफारिश की गई है कि टेलीविजन प्रसारण क्षेत्र में स्थानीय विनिर्माण पर उनके प्रभाव के संबंध में एफटीए और ऐसे समझौतों की समीक्षा हो। प्रसारण उपकरणों के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जा सकता है या प्रसारण उपकरणों पर भी ध्यान केंद्रित करने के लिए मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों का उन्नयन किया जा सकता है।
टेलीकॉम एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (टीईपीसी) या कुछ इसी तरह के संगठन को स्थानीय रूप से निर्मित प्रसारण उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा देने और सुविधा प्रदान करने के लिए सक्षम बनाया जाए। स्थानीय रूप से प्राप्त घटकों व सेवाओं के प्रतिशत के संदर्भ में टेलीविजन प्रसारण क्षेत्र में विभिन्न उपकरण श्रेणियों के लिए 'स्थानीय विनिर्माण' के दायरे को परिभाषित करें।
दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (टीईसी), दूरसंचार विभाग को सभी प्रसारण उपकरणों के परीक्षण और मानकीकरण के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए।
इसके अलावा सी-डॉट जैसे सार्वजनिक क्षेत्र में मौजूदा अनुसंधान एवं विकास केंद्रों को मजबूत करना, पीपीपी मार्ग के माध्यम से उद्योग की भागीदारी के साथ-साथ स्थानीय अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना, स्थानीय अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से विकसित उत्पादों के लिए गो टू मार्केट रणनीति अपनाए जाने के भी सुझाव दिए गए हैं।