राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस ने तीखी टिप्पणी
पश्चिम बंगाल में रामनवमी की शोभायात्रा के बाद से जारी सांप्रदायिक हिंसा को लेकर राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस ने तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल के लोग राजनीतिक अपराधीकरण के शिकार हो रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने हुगली जिले में रिसड़ा के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने के बाद कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती गंभीर रूप से घायल विजय माली से मुलाकात की। यहां ट्रामा केयर सेंटर में भर्ती माली की हालत गंभीर है। यहां से निकलने के बाद राज्यपाल ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि मैंने घायलों से अस्पताल में मुलाकात की है। एक व्यक्ति के सिर में गंभीर चोट है। टोकन के तौर पर उसे 25 हजार रुपये की वित्तीय मदद मैंने की है। अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
इसके पहले रिसड़ा में मीडिया से मुखातिब राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग राज्य में राजनीतिक अपराधीकरण के कारण लंबे समय से पीड़ित रहे हैं। इसे समाप्त करने की जरूरत है।
दरअसल गुरुवार तक उत्तर बंगाल के अपने सफर को छोड़कर मंगलवार दोपहर के समय ही राज्यपाल कोलकाता लौट आए। हवाई अड्डे से उनका काफिला सीधे हुगली जिले के रिसड़ा के लिए रवाना हुआ। वहां उन्होंने चंदननगर पुलिस आयुक्त के साथ स्थिति को लेकर चर्चा की। इसके बाद बोस ने स्थानीय लोगों से बातचीत की और उनके हालात के बारे में जानकारी ली। रविवार शाम से शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा सोमवार देर रात तक जारी रही। धारा 144 लगे होने के बावजूद हमले हो रहे हैं। राज्यपाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक अपराधीकरण का लंबा इतिहास रहा है जिससे बंगाल के लोग पीड़ित होते रहे हैं। ऐसे घटनाक्रम बिल्कुल अस्वीकार्य हैं। किसी भी परिस्थिति में असामाजिक तत्वों को कानून अपने हाथों में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। पुलिस को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है। सभी को मिलकर ऐसे लोगों का विरोध करने की जरूरत है। बंगाल के लोगों को शांतिपूर्वक तरीके से जीने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि राज्य में आदर्श वाक्य जियो और जीने दो का पालन होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 30 मार्च और 31 मार्च को हावड़ा के शिवपुर में रामनवमी की शोभायात्रा पर हुए हमले के बाद राजभवन में खोला गया विशेष निगरानी प्रकोष्ठ हुगली जिले के रिसड़ा में भी स्थिति की बारीकी से निगरानी करेगा। इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए तृणमूल के कई नेताओं से संपर्क किया गया लेकिन किसी ने भी कुछ नहीं कहा। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हो सकता है इस मामले पर मुख्यमंत्री सीधे तौर पर जवाब दें।