प्रो. शेख अकील अहमद
सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद (एनसीपीयूएल) के बंद होने को लेकर जारी अटकलों पर परिषद के निदेशक प्रो. शेख अकील अहमद का स्पष्टीकरण सामने आया है। उन्होंने इन खबरों को निराधार बताते हुए इसे कोरी अफवाह बताया है।
अपने बयान में प्रो. अकील अहमद ने कहा कि गत दो दिनों से सोशल मीडिया पर कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं कि भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद को बंद करने जा रहा है। उन्होंने बताया कि दरअसल नोटिस के माध्यम से यह सूचित किया गया है कि इस वर्ष सहायता अनुदान योजनाओं के लिए कोई नया आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह घोषणा इसलिए की गई है, क्योंकि गवर्निंग काउंसिल के नहीं होने के कारण पिछले वर्ष प्राप्त आवेदनों को लागू नहीं किया जा सका था। ऐसे में नए वित्तीय वर्ष में आवेदन आमंत्रित करने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए काउंसिल ने यह अधिसूचना जारी की है।
परिषद के निदेशक प्रो. शेख अकील अहमद ने कहा है कि परिषद के बंद होने की खबर पूरी तरह निराधार है। न तो परिषद बंद हो रही है और न ही इसकी गतिविधियों पर कोई रोक लगी है। प्रो. शेख अकील ने कहा कि अनुदान और सहायता योजना के तहत केवल पांच से छह करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं और अगर अनुदान और सहायता योजना किसी भी कारण से बंद हो जाती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि एनसीपीयूएल बंद हो जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि एनसीपीयूएल की सभी योजनाएं सुचारू रूप से चल रही हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी सरकार से पिछले वर्ष की तुलना में दस प्रतिशत अधिक अनुदान प्राप्त हुआ है।
वास्तविक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में 4 दिसंबर 2021 से एनसीपीयूएल की गवर्निंग काउंसिल का गठन नहीं किया गया है। इस कारण न तो वित्त समिति और न ही कार्यकारी परिषद का गठन किया गया है। यदि परिषद का गठन नहीं होता है, तो निदेशक कोई नया कार्य या नई योजना या नया केंद्र नहीं खोल सकता है। केवल पुराना खुला केंद्र चला सकते हैं और दिन-प्रतिदिन का काम कर सकते हैं। इसी तरह सभी अनुदान और सहायता योजनाएं जैसे गैर सरकारी संगठनों या संस्थानों को सेमिनार के लिए अनुदान, पुस्तकों की थोक खरीद, ड्राफ्ट का प्रकाशन नहीं दिया जा सकता। नई शोध परियोजनाओं के लिए अनुदान आदि नहीं दे सकते।
प्रो. शेख अकील ने यह भी स्पष्ट किया कि जो लोग अनुदान इस साल नहीं ले पा रहे हैं, हम उन्हें अगले साल मौका देंगे। अर्थात आगामी वर्ष 2022, 2023 एवं 2024 में प्रकाशित पुस्तकों को थोक क्रय हेतु स्वीकृत करने का प्रयास किया जाएगा, जिससे पूर्व वर्ष में प्रकाशित पुस्तकों के लेखकों को नुकसान न होने पाए।