निशिकांत ठाकुर
पिछले कुछ दिनों से ऐसा लगने लगा है जैसे देश में भ्रष्टाचारियों की अचानक बाढ़ आ गई हो और छापे रूपी बांध से उन्हें बांधने के लिए सरकार ने अपने सारे तंत्र खोल दिए हों। क्या भ्रष्टाचारियों की इतनी तेज आंधी आ गई है कि देश भ्रष्टप्लावित हो गया और छापों की असंख्य बौछार से उसे एकसाथ रोकने का प्रयास किया जा रहा है? इस प्रकार के योजनाबद्ध छापों से दो प्रकार की सोच पनप रही है- पहला तो यह कि विपक्ष के प्रति आमजन के मन में घृणा उत्पन्न हो जाए और दूसरा यह सोचने पर मजबूर हो जाए कि छापेमारी करवाने वाला अपने प्रतिद्वंद्वियों को एक तरह से समूल नष्ट कर देना चाहता हो। आप आज जिस किसी माध्यम से देश-दुनिया के हालात को जानने का प्रयास करेंगे, तो भयभीत हो जाएंगे, क्योंकि अपनी दिनचर्या के अनुसार आप सुबह समाचार जानने के उद्देश्य से अखबार पढ़ना शुरू करेंगे, तो छापों के समाचार से ही इसकी शुरुआत होगी। पता नहीं, रात में आपके पड़ोसी के यहां किसी सरकारी जांच एजेंसियों का छापा पड़ गया हो और अभी आपको समाचार पत्रों से पता चल रहा हो कि आपका पड़ोसी तो उच्च कोटि का भ्रष्ट अधिकारी था या सत्तारूढ़ दल के विरुद्ध बात करता था अथवा विपक्षी दल का कार्यकर्ता अथवा नेता था?
पिछले दिनों कर्नाटक में भाजपा विधायक के ठिकानों से कुल आठ करोड़ रुपये कैश बरामद होने पर कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर है। सिद्धारमैया ने सीएम बोम्मई को करप्शन का सबूत बताते हुए कहा कि उन्हें सीएम पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री सत्येंद जैन महीनों से जेल में बंद हैं, वहीं अब उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी छापेमारी के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तथा उनके कई रिश्तेदारों के यहां छापेमारी के बाद पूछताछ जारी है। पंजाब कांग्रेस से जुड़े पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है। उन पर भी मुख्यमंत्री रहने के दौरान भ्रष्टाचार करने के आरोप हैं। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल से विधायक और लालू-राबड़ी देवी के करीबी अबु दोजान के फुलवारी शरीफ के हारून नगर आवास और कई ठिकानों पर छापेमारी की गई है। ईडी छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के नेता विनोद तिवारी को दफ्तर बुलाकर दस घंटे तक पूछताछ की गई। यह तो महज चंद उदाहरण हैं, यदि संपूर्णता में इसे देखें तो इनकी संख्या सैकड़ों नहीं, हजारों में है जिन पर ईडी, सीबीआई के छापे पिछले कुछ वर्षों में डाले जा चुके हैं। इन छापों के कारण भ्रष्टाचार से कमाई करने वालों के रातों की नींद हराम हो गई है। स्वाभाविक है कि जिनकी लगाम कसी जाएगी, वह अपने पक्ष में कुछ—न—कुछ कहानियां सुनाएंगे ही।
केंद्र सरकार में सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि भ्रष्टाचार की शुरुआत कांग्रेस शासन की देन है और अब यदि उसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है, तो इसकी आलोचना उनके द्वारा क्यों की जाती है। इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से पूछताछ के बाद जमीन के बदले नौकरी घोटाले में तथाकथित 600 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के जो सबूत मिले हैं, क्या उसका दोष भी तत्कालीन सरकार पर मढ़ा जाएगा? होना तो यही चाहिए कि जो अपराध करे, उसको उसके कृत्य की सजा तो मिलनी ही चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। विपक्ष इसी को मुद्दा बनाकर जनता के सामने पेश कर रहा है कि भाजपा सरकार अपने विरोधियों के प्रति किस प्रकार एक पक्षीय है। दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी के. कविता से यदि ईडी नौ घंटे पूछताछ करती है और दोषी पाए जाने पर गिरफ्तार करती है, तो उसमें किसी को क्या परेशानी हो सकती है? स्पष्ट है कि जो अपराध करेगा, उसे उसकी सजा मिलेगी, लेकिन विपक्ष यही प्रश्न पूछकर सरकार को कठघरे में खड़ा करता है, तो इसमें असहज होना क्या उचित है? विपक्ष कई नामों में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शरमा, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा के अलावा कई और नेताओं का नाम लेकर भाजपा पर प्रहार करते हैं कि कांग्रेस में जब तक ऐसे व्यक्ति थे, तब तक भाजपा ने इनपर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए गए थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने दल बदला, उनकी छवि सुधर गई और ये पाक-साफ होकर भाजपा के सर्वप्रिय व सम्मानित नेता बन गए। क्या भाजपा गंगा नदी जैसी स्वच्छ और पवित्र पार्टी है कि कोई व्यक्ति उसमें डुबकी लगाते ही दोषमुक्त हो जाता है? लालू यादव ट्यूट करते हैं, हमने आपातकाल का काला दौर भी देखा है। हमने वह लड़ाई भी लड़ी थी। आधारहीन प्रतिशोधात्मक मामलों में आज मेरी बेटियों, नन्हें-मुन्ने नातियों और गर्भवती पुत्रवधू को भाजपाई ईडी ने 15 घंटों से बैठा रखा है। क्या इतने निम्नस्तर पर उतरकर भाजपा हमसे राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी?'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, 'मोदी सरकार, विपक्षी नेताओं पर ईडी-सीबीआई का दुरुपयोग कर लोकतंत्र की हत्या का कुत्सित प्रयास कर रही है।' खरगे ने कहा कि जब देश से भगोड़े करोड़ों लेकर भागे, तब मोदी सरकार की एजेंसियां कहां थीं? जब परम मित्र की संपत्ति आसमान छूती है, तो जांच क्यों नहीं होती? इस तानाशाही का जनता मुंहतोड़ जवाब देगी। अब पानी सिर के ऊपर से चला गया है। कांग्रेस हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने का बाद से भाजपा सरकार और विशेषरूप से प्रधानमंत्री पर आक्रामक है। इस मामले में राहुल गांधी के साथ विपक्षी दल के सभी नेताओं का गुस्सा भाजपा को झेलना पड़ रहा है। राहुल गांधी ने संसद और संसद से बाहर सरकार पर आरोप लगाया है कि घोटाला मामले में जितने भी भगोड़े है, सबको सरकार का प्रश्रय हासिल है, इसलिए उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती है। इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सत्ता में आने के बाद से उद्योगपति गौतम अडाणी की मदद करने और वास्तविक मुद्दों की बात न करके लोकतंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया। झारखंड के साहेबगंज जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा, '2019 में अडाणी की संपत्ति एक लाख करोड़ रुपये थी। ढाई साल के भीतर उनकी संपत्ति बढ़कर 13 लाख करोड़ रुपये हो गई। यह वही (गौतम) अडाणी थे, जिनकी फ्लाइट से मोदी शपथ लेने आए थे। वह कौन सी जादुई छड़ी है, जिसने उनकी संपत्ति कई गुना बढ़ा दी? ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि मोदी ने जनता के पैसे से अपने दोस्त को फंडिंग की।'
सच्चाई तो यह है कि भाजपा देश के अधिकांश भागों में सत्ता में काबिज है। केंद्र में उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार है, लेकिन छापेमारी की इस तरह ताबड़तोड़ कार्रवाई से ऐसा लगता है कि वह कुछ दूर की सोचकर भयभीत हो गई है। उसके कई कारण हो सकते हैं- जैसे राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' से कांग्रेस और विशेष रूप से राहुल गांधी का जो कद बढ़ा है, उसकी अपार सफलता से भाजपा बुरी तरह प्रभावित है। दूसरी बात यह भी है कि भाजपा द्वारा बार—बार जो वादे किए जाते हैं, उन्हें पूरा न करके आमजन की सोच को बदलना और सरकार द्वारा चुनाव के बाद यह कह देना कि वे सारे तो चुनावी जुमले थे, इसलिए उन्हें मूर्तरूप नहीं दिया जा सकता। एक और बात जो काफी महत्वपूर्ण है, वह यह कि लगभग दस वर्ष होने के कारण आमजन के मन में सरकार के प्रति स्वाभाविक दुराग्रह बन जाता है, उसका भी डर है। वैसे तो यदि सच में सरकार आमजन के लिए कुछ करती है, तो लोग उसे भूलते नहीं हैं। उदाहरण के लिए गुजरात सहित कई राज्यों को लिया जा सकता है जहां भाजपा ने इस सिद्धांत को अपने द्वारा किए गए कार्यों से झुठला दिया। यदि सच में देश के लिए भी ऐसा ही कुछ इस पार्टी ने किया है, तो उसका हिसाब—किताब अगले वर्ष होनेवाले आम चुनाव में मतदाता कर ही देंगे। फिलहाल सामान्य जीवन जीने वालों के लिए आज की स्थिति तो डरावनी ही है। यदि कांग्रेस और सभी विपक्षी दल एक हो जाते हैं, तो फिर आज की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा को नाकों चने चबाने पड़ सकते हैं। उसकी ताबड़तोड़ छापेमारी का मतलब आमजन की समझ में आ जाएगा। बस प्रतीक्षा का धैर्य बनाए रखिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)