माधव नेशनल पार्क में बाघ
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रयासों से ग्वालियर संभाग के शिवपुरी जिले में स्थित माधव नेशनल पार्क पुनः आबाद होने जा रहा है। यहां 27 साल बाद आज (शुक्रवार) दोबारा बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। आज यहां तीनों बाघों (दो मादा, एक नर) को छोड़ा जाएगा। केन्द्रीय मंत्री सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में दोपहर में इन बाघों को यहां छोड़ा जाएगा। बांधवगढ़, सतपुड़ा और पन्ना नेशनल पार्क से एक-एक बाघ को यहां लाया गया है।
उल्लेखनीय है कि माधव नेशनल पार्क में 1996 में आखिरी बार बाघ देखा गया था। ग्वालियर के पूर्व महाराजा माधवराव सिंधिया के नाम से इसे नेशनल पार्क के रूप में पहचान मिली है। पहले इसे शिवपुरी नेशनल पार्क कहा जाता था।
केंद्रीय मंत्री सिंधिया और मुख्यमंत्री चौहान ग्वालियर से दोपहर 1ः00 बजे हैलीकॉप्टर से शिवपुरी पहुंचेंगे। यहां दोपहर 2:10 बजे माधव नेशनल पार्क में बाघों को रिलीज करेंगे। यहां से एयर स्ट्रिप तक पहुंचेंगे, जहां से वह जिला संग्रहालय के पास बने माधवराव सिंधिया की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। यहां से वे पोलो ग्राउंड में आयोजित सभा में पहुंचेंगे। शाम 5ः00 बजे हेलिकॉप्टर से वो ग्वालियर के लिए रवाना होंगे।
माधव नेशनल पार्क शिवपुरी जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर विंध्याचल की पहाड़ियों पर है। यह पार्क कभी मराठा, राजपूत और मुगल शासकों के शिकार करने के लिए पसंदीदा जगह हुआ करता था। आजादी के 11 साल बाद 1958 में पार्क को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। शुरुआत में पार्क मात्र 167 वर्ग किलोमीटर में फैला था। इसे बाद 375 वर्ग किलोमीटर तक फैला दिया गया।
पार्क में प्रवेश के लिए दो एंट्री गेट हैं। पहला एनएच-25 पर, जो शिवपुरी से पांच किमी दूर है, जबकि दूसरा गेट एनएच-3 (आगरा-मुंबई रोड) पर शिवपुरी से ग्वालियर की ओर सात किमी दूर है। यहां नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, हिरण, चीतल, सांभर और बार्किंग मृग बहुतायत में हैं। इसके अलावा तेंदुए, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, जंगली कुत्ता, जंगली सूअर, शाही, अजगर आदि जानवर पार्क में देखे जाते हैं।
माधव नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम शर्मा ने बताया कि पार्क के बीच बलारपुर के कक्ष क्रमांक 112 में बाघों की देखरेख के लिए चार हजार हेक्टेयर का बड़ा एनक्लोजर (बाड़ा) बनाया गया है। इस एनक्लोजर को तीन हिस्सों में बांटा गया है। बाड़े की ऊंचाई करीब 16 फीट है। तीनों बाघों के लिए अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं। बाड़ों के अंदर बाघों के लिए 6-6 हजार लीटर पानी की क्षमता वाले सोसर बनाए गए हैं। करीब एक महीने तक इनमें पानी भरकर टेस्टिंग की गई है। इनमें पानी भरने के लिए बाहर से ही पाइप का कनेक्शन दिया गया है।
उन्होंने बताया कि बाघों की सुरक्षा के लिए पार्क में पुख्ता इंतजाम हैं। तीनों बाघों को सैटेलाइट कॉलर बीएचपी सुविधा के साथ लाया जा रहा है। नेशनल पार्क में वायरलेस सिस्टम लगाया गया है। वायरलेस के 6 फिक्स्ड स्टेशन, 11 माउंटेन वाहन और 90 हैंडसेट के जरिए निगरानी की जाएगी। तीनों बाघों को 10 से 15 दिन तक निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद स्थिति सामान्य रही, तो उन्हें पार्क में खुला छोड़ दिया जाएगा।