टिपरा मोथा (टीएमपी)
त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव में टिपरा मोथा (टीएमपी) न केवल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है बल्कि राज्य के बहुत बड़े वोट बैंक जनजातीय समुदाय के बीच सबसे बड़ी पार्टी भी बनी है। यह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा संकेत है क्योंकि इसके पहले 2018 के विधानसभा चुनाव में जनजातीय समुदाय का समर्थन भाजपा और आईपीएफटी (इंडीजीनस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) गठबंधन को मिला था। जनजातीय क्षेत्रों में भाजपा और सहयोगी दल ही जीते थे लेकिन इस बार 20 जनजाति निर्वाचन क्षेत्रों में से अकेले टिपरा मोथा ने 13 सीटों पर जीत हासिल की। लोकसभा चुनाव पर इसका असर भली-भांति होगा। इसी मौके को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने टिपरा मोथा को बिना शर्त सरकार में शामिल होने का खुला ऑफर दिया है और स्पष्ट कर दिया है कि इस नवगठित पार्टी के पृथक ग्रेटर टिपरालैंड मांग के अलावा सभी मांगे मान जाएगी। ऐसा सिर्फ इसी रणनीति से किया गया ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में इस पार्टी के भाजपा के साथ रहने पर जनजातीय समुदाय के वोट बैंक को हासिल करने में मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। हालांकि टिपरा मोथा सुप्रीमो प्रद्योत किशोर देववर्मन विधानसभा चुनाव के परिणाम के महत्व को भलीभांति समझ चुके हैं। इसलिए उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि टिपरा मोथा किसी के साथ नहीं बल्कि विपक्ष में बैठकर लोगों के कल्याण में सकारात्मक भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, "जनता ने हमें ग्रेटर टीपरालैंड की मांग को लेकर विधानसभा में आवाज उठाने का मौका दिया है। टिपरा मोथा निश्चित रूप से उस अवसर का उपयोग लोगों की आवाज बनने के लिए करेगी।" हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार पर अगर किसी तरह का संकट होगा तो लोगों के हित में सकारात्मक भूमिका निभाएंगे।
संयोग से, 2018 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने त्रिपुरा में जनजाति निर्वाचन क्षेत्र में 18 सीटें जीतीं और दो सीटें सीपीएम के खाते में गईं। इस बार विधानसभा चुनाव में टिपरा मोथा ने 13 सीटें जीतीं और बीजेपी और आईपीएफटी गठबंधन ने सात सीटों पर जीत हासिल की। इस लिहाज से सीपीएम को पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में दो सीटों का नुकसान हुआ है।
प्रद्योत ने कहा, "हम किसी भी तरह से लोगों की उपेक्षा नहीं कर सकते। भाजपा चाहेगी तो टिपरा मोथा भी जनकल्याण में सकारात्मक भूमिका निभाएगा। लेकिन, केंद्र और राज्य सरकारों को जनता का दर्द महसूस करना होगा। उनकी वास्तविक समस्याओं का शीघ्र समाधान करने की आवश्यकता है।"
उनके अनुसार, विपक्ष ने भी लोगों के कल्याण के लिए सरकार के सकारात्मक दृष्टिकोण में कई बार सहयोग किया है। देश के संसदीय लोकतंत्र में अतीत में ऐसे कई उदाहरण हैं। जहां स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सहायता की थी।
उन्हीं के शब्दों में जनजाति वर्ग के लोगों ने टिपरा मोथा पर आशीर्वाद बरसाया। विधान सभा में ग्रेटर टिप्रालैंड की मांग पर आवाज उठाने का मौका दिया।
कांग्रेस पर जताई नाराजगीः चुनाव परिणामों के बाद प्रद्योत ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कांग्रेस के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मौजूदा नेताओं ने त्रिपुरा को कभी महत्व नहीं दिया, इसलिए उन्होंने लोगों को आवाज उठाने में मदद नहीं की। उन्होंने दावा किया कि पार्टी की आंतरिक समस्याओं के कारण त्रिपुरा में कांग्रेस कमजोर हुई है।