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उत्तराखंड : मायके से ही मैली हो रहीं पतित पावनी गंगा, सुध लेने वाला नहीं कोई

मैली हो रही गंगा

उत्तराखंड में पतित पावनी मां गंगा की सेहत अपने मायके में ही खराब हो रही है। गंगोत्री से लेकर चिन्यालीसौड़ टिहरी झील तक जगह-जगह छोटे कस्बों की गंदगी और कूड़ा सीधे भागीरथी में प्रवाहित हो रहा है, लेकिन इस कुव्यवस्था पर किसी का ध्यान नहीं है।

वर्तमान समय में सबसे खराब स्थिति नगरपालिका बाडाहाट उत्तरकाशी की है। यहां तो प्लास्टिकयुक्त कूड़ा भी गंगा में डाला जा रहा है। यह हाल तब है, जब गंगा स्वच्छता के नाम पर कई अभियान चल रहे हैं और गंगा को स्वच्छ रखने के लिए करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। उत्तरकाशी पालिका क्षेत्र में तिलोथ पुल के नीचे घरों के शिविर नाले सीधे गंगा जी में प्रवाहित किए जा रहे हैं, जिससे पतित पावनी मां गंगा मायके से ही गंदगी और कूड़ा-करकट के साथ प्रवाहित हो रही हैं।

उत्तरकाशी शहर चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव है, जो अपनी आस्था और सुंदरता के लिए जाना जाता है। यात्री और पर्यटक गंगोत्री से पहले उत्तरकाशी ही पहुंचते हैं। कहा जा रहा है कि जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से भागीरथी नदी दूषित हो रही है। जिला मुख्यालय में ही करीब दर्जनभर जगहों पर सीवर और घरों की गंदगी छोटे- बड़े नालों से होकर सीधे गंगा जी में समा रही है। इस पर नगरपालिका परिषद और नमामि गंगे के जिम्मेदार अधिकारी चुप बैठे हैं।

उत्तरकाशी शहर में गंगा किनारे बने पौराणिक मणिकर्णिका घाट, जड़भरत, केदारघाट आदि जगहों पर सीवर और घरों की गंदगी पहुंच रही है। मुख्य रूप से तांबाखाणी से लगा इलाका और जोशियाड़ा क्षेत्र के गंदे नालों का पानी नदी में गिर रहा हैं। नगर पालिका बाड़ाहाट ने तांबाखाणी सुरंग के बाहर कूड़े के लिए डंपिंग यार्ड बनाया गया है, जिसके ठीक नीचे गंगा नदी बह रही है। डंपिग यार्ड के कूड़े की वजह से भी भागीरथी नदी प्रदूषित हो रही है।
तांबाखाणी सुरंग उत्तरकाशी शहर का मुख्य द्वार है। यहां पहुंचते ही सबसे पहले कूड़े का ढ़ेर दिखाई पड़ते हैं। सुरंग के अंदर और आस पास कूड़े की बदबू से राहगीरों को बहुत दिक्कत हो रही है। सबसे खराब स्थिति उत्तरकाशी पालिका परिषद की है। बाजार का पूरा कचरा सीधे भागीरथी में पहुंच रहा है। चिन्यालीसौड़, धरासू और डुंडा में भी स्वच्छता की स्थिति बेहद चिंताजनक है।

घाटों के पुनर्निर्माण तक सिमटी नमामि गंगे परियोजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पदभार संभालते ही वर्ष 2014 से शुरू हुई नमामि गंगे परियोजना के तहत नदी में गिरने वाले गंदे नालों के पानी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए शोधित किया जाना था। साथ ही नदी किनारे घाटों का पुनर्निर्माण भी होना था। लेकिन, नमामि गंगे परियोजना केवल घाटों के पुनर्निर्माण तक सिमट कर रह गई। नगर पालिका बाडाहाट के अधिकारी एसएस चौहान ने बताया कि तांबाखाणी में भागीरथी की पवित्रता को ध्यान में रख कर कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है। अगर कूड़ा कहीं से भी नदी में गिर रहा होगा तो उसे हटाया जाएगा। जबकि सीवर लाइनों को जल संस्थान देख रहा है।

AUTHOR :Parul Kumari

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