राहुल गांधी
केरल के वायनाड क्षेत्र के कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय की ओर से शुक्रवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 102 और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 के तहत राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त की गई है। राहुल गांधी को गुजरात के सूरत की अदालत ने गुरुवार को एक मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई। इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता रद्द करने का फैसला किया, जो 23 मार्च 2023 से प्रभावी हो गई है।
सूरत की अदालत ने राहुल के मोदी सरनेम वाले बयान पर दो साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने साथ ही साथ राहुल को जमानत भी दे दी। कोर्ट ने इसके अलावा सजा को 30 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है। वर्ष 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर बयान दिया था। राहुल ने कहा था कि 'सारे चोरों के सरनेम मोदी कैसे हैं? राहुल के इस बयान के बाद सूरत पश्चिम सीट के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस कर दिया था। उन्होंने कहा था कि राहुल ने मोदी समुदाय का अपमान किया।
कांग्रेस ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त किए जाने का विरोध किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि हम कानूनी और राजनीतिक दोनों तरह से इस लड़ाई को लड़ेंगे। कांग्रेस डरने या चुप रहने वाली नहीं है।
रमेश ने कहा कि अडाणी प्रकरण में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के बजाय राहुल गांधी को अयोग्य करार दिया गया है। यह गलत है। कांग्रेस कानूनी और राजनीतिक लड़ाई जारी रखेगी।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सच की आवाज बुलंद करने के जुर्म में मोदी सरकार ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त करवा दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि राहुल को सच बोलने की सजा दी गई है। यह कानून से अधिक सियासी मामला है।
उन्होंने कहा कि जानबूझकर यह सरकार हर लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म कर रही है। यह सरकार बोलने की आजादी को धीरे-धीरे छीन रही है। राहुल जनहित में मुखर होकर विचार व्यक्त करते रहे हैं। ये बातें सरकार को चुभती थीं। राहुल ने जीएसटी, चीन, नोटबंदी, अडाणी सहित हर मुद्दे पर मुखर होकर आवाज उठाई है। उन्होंने संसद से सड़क तक जनता के मुद्दों को उठाया। यह सरकार को बर्दाश्त नहीं हुआ। इस लिए नियम-कानून को ताक पर रखकर उन्हें संसद से बेदखल कर दिया गया। सिंघवी ने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में जाएंगे। उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा है। राहुल को वहां न्याय मिलेगा।
सिंघवी ने कहा कि जिस मामले में राहुल को सजा मिली है वह गुजरात का मामला नहीं था। राहुल ने कोलार (कर्नाटक) में बयान दिया था। इसकी शिकायत सूरत में दर्ज की गई। ऐसे में कानून कहता है कि जज को सुनवाई से पहले यह जांच करवानी चाहिए कि क्या जिस मामले पर वह सुनवाई कर रहे हैं वह उनके न्यायिक क्षेत्र में आता है या नहीं, लेकिन कोर्ट ने बिना इस नियम का पालन किए सजा सुना दी। यह नियम के खिलाफ है।