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मजदूर की बेटी ने डिलीवरी गर्ल का किया काम, दौड़ लगाकर बन गई गोल्डन गर्ल

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सोनम ने जीता गोल्ड मेडल

आज ये कहानी एक मजदूर की बेटी की है जिसने अपने जज्बे से हर किसी को हैरान कर दिया है ये कहानी आपको हौसलो से भर देगी खेलों इंडिया यूथ गेम्स में 18 साल की लड़की सोनम 2000 मीटर स्टीपलचेज में नेशनल रिकॉर्ड के साथ चैंपियन बनकर और गोल्ड मेडल अपने नाम किया। सोनम ने 11 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा 2012 में लखनऊ में हुई यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 1 एक रिकॉर्ड को तोड़ दिया बुलंदशहर के एक छोटे से गांव के रहने वाले सोनम ने अपनी मेहनत से मुकाम हासिल किया सोनम की कहानी बेहद इमोशनल करने वाली है।


सोनम के पिता वीर सिंह ईट भट्टी पर मजदूर है और मां दूसरों के खेतों में काम करती हैं परिवार में 9 लोग हैं घर का गुजारा बेहद मुश्किल है लेकिन सोनम ने 2020 में बाधा तोड़  अपने करियर की शुरुआत की और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा आपने मेहनत से बुलंदशहर से दिल्ली तक पहुंची और सोनम को खर्चा चलाने के लिए डिलीवरी गर्ल का काम भी करना पड़ा आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी सोनम को आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी गांव के लड़के सेना में जाने की तैयारी करते थे रनिंग किया करते थे उन्हें देख सोनम ने भी दौड़ना शुरू किया ऑल लोकल टूर्नामेंट में जीतने पर उन्हें एक से ₹2000 तक मिल जाते थे।

सोनम के पिता से कोचिंग दिलाने को कहा लेकिन घर के हालत ठीक नहीं थी जिसके बाद कोच संजीव कुमार उनका सहारा बने और सोनम ने कई बार भूखे पेट रहकर भी दौड़ लगाई पिछले साल में हुई जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया सोनम की कहानी हर किसी को प्रोत्साहित करने वाली है क्योंकि एक मजदूर की बेटी ने अपने नाम गोल्ड मेडल किया है।

AUTHOR :Kajod Verma

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