मुशर्रफ ने अमेरिका को दे दी थी परमाणु हथियारों चाबी, CIA के पूर्व अधिकारी का खुलासा
अमेरिकी खुफिया एजेंसी (सीआईए) के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको ने पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को लेकर हैरान कर देने वाले खुलासे किये है। 15 साल तक सीआईए के लिए काम कर चुके जॉन ने बताया है कि सऊदी सरकार के हस्तक्षेप की वजह से अमेरिकी एजेंट ने कादिर की हत्या ना करने का फैसला लिया था।
एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में पूर्व एजेंट जॉन किरियाको ने कहा, 'मेरा एक सहकर्मी कादिर खान के साथ मिलकर काम कर रहा था। जाहिर है कि हमारे लिए उसे खत्म करना आसान था क्योंकि हम जानते थे कि वह कहां रहता है। वह दिनभर कहां जाता है और क्या करता है। इन सबके बारे में हमें जानकारी थी। अगर हमने इजरायली तरीका अपनाया होता तो हम उसे मार डालते। लेकिन उसके पास सऊदी सरकार का समर्थन था, जो चाहती थी कि उसे अकेला छोड़ दिया जाए।'
जॉन ने आगे कहा कि सऊदी सरकार के अफसर हमारे (अमेरिका) पास आए थे। उन्होंने कहा कि प्लीज खान को अकेला छोड़ दो। सऊदी ने हमें बताया कि वह खान के साथ काम कर रहे हैं। सऊदी अफसरों ने कहा कि हम पाकिस्तानियों के करीब हैं। उन्होंने फैसलाबाद का नाम किंग फैसल के नाम पर रखा है।
उन्होंने कहा, 'परवेज़ मुशर्रफ ने कंट्रोल अमेरिका को सौंप दिया था...लेकिन बीच के वर्षों में पाकिस्तानियों ने, और याद कीजिए, मैं 23 साल पहले वहां था...पिछले 23 सालों में, पाकिस्तानियों ने कहा है कि यह बिल्कुल सच नहीं है। अमेरिका का पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि पाकिस्तानी जनरल ही इसे कंट्रोल करते हैं।'
जॉन ने आगे कहा, 'भारत और पाकिस्तान के बीच असली जंग से कुछ भी, सचमुच कुछ भी अच्छा नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तानी हार जाएंगे। यह इतनी सीधी बात है। वे हार जाएंगे और मैं परमाणु हथियारों की बात नहीं कर रहा हूं। मैं सिर्फ एक पारंपरिक जंग की बात कर रहा हूं, इसलिए भारतीयों को लगातार उकसाने का कोई फायदा नहीं है।'
आपको जानकारी में बता दे, कादिर खान को पाकिस्तान के परमाणु बम का जनक कहा जाता है। भारत के भोपाल में जन्मे खान 1947 में विभाजन के बाद 1952 में अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे। खान का साल 2021 में 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया।