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अमेरिका के साथ दूध व्यापार को लेकर भारत ने कदम लिया पीछे, अब क्या होगा अगला फैसला 

India took a step back regarding milk trade with America, what will be the next decision now

अमेरिका के साथ दूध व्यापार को लेकर भारत ने कदम लिया पीछे, अब क्या होगा अगला फैसला 

भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ा व्यापार समझौता बीच में अटक गया है। और इसकी वजह दोनों देशों के बीच कृषि और डेयरी सेक्टर पर मतभेद है। दोनों देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक अगस्त की डेडलाइन से पहले किसी नतीजे पर पहुंचना चाहते हैं। भारत-अमेरिका के बीच नॉन-वेज मिल्क का मुद्दा लगातार रोड़ा बनता जा रहा है। भारत का साफ कहना है कि अगर दूध में किसी तरह का कोई मिलावट नहीं हो तभी इस पर कुछ बिचार किया जाये। 

भारत की तुलना में अमेरिका में स्थिति बिल्कुल अलग है। वहां की गायों को प्रोटीन और फैट के लिए ऐसा चारा दिया जाता है जिसमें सूअर, मछली, मुर्गी, घोड़े, यहां तक कि कुत्ते और बिल्लियों के हिस्से तक शामिल हो सकते हैं। भारत का साफ कहना है कि अगर अमेरिका से दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स आयात होते हैं, तो यह पक्का होना चाहिए कि वो ऐसे गायों से आया हो जिन्हें कभी भी मांस या खून से बने फीड (आहार) नहीं दिए गए हों।

अमेरिका भारतीय बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता है. क्योंकि वह दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक और उपभोक्ता है. लेकिन अमेरिकी मिल्क प्रोडक्ट्स की एंट्री से घरेलू कीमतें गिरने के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है. एसबीआई की एक एनालिसिस के अनुसार, अगर भारत अमेरिकी डेयरी आयात को इजाजत देता है, तो उसे 1.03 लाख करोड़ रुपए का सालाना नुकसान हो सकता है.

लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का डेयरी सेक्टर नेशनल ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) में लगभग 2.5%-3% का योगदान देता है, जो कुल 7.5-9 लाख करोड़ रुपए है. इनपुट और कच्चे माल की लागत घटाने के बाद अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सर्विसेज की कुल वैल्यू को जीवीए कहा जाता है.


 

AUTHOR :KRISHNA SINGH

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