Dev Deepawali 2025: बस इस घटना की वजह से पुरे विश्व में मनाया जाता है देवताओं की दीवाली
दीवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिंमा के दिन देव दीवाली यानी देवताओं की दीवाली मनाई जाती है विशेष रूप से, यह त्योहार भगवान शिव की प्रिय नगरी काशी में गंगा घाटों पर लाखों दीपों से मनाया जाता है।और इस दिन बनारस के घाटों को रोशनी से जगमगा दिया जाता है.इस गंगा के किनारों पर सैकड़ों दीये जलाए जाते हैं और इस दिन विशेष आरती का ओयाजन होता है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. बनारस की देव दीपावली का उत्साह सबसे ज़्यादा होता है और यह लोगों को आकर्षित करती है.
ऐसी मान्यता है इस दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिससे खुश होकर सभी देवी-देवताओं ने उस दिन को स्वर्गलोक में दीपक जलाकर अपने जीत के जश्न को मनाया था. उसके बाद से देव दिवाली मनाने की परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है इस दिन पूजा-पाठ करने से मनचाहा फल मिलता है.

पूरे कार्तिक मास को पवित्र माना जाता है. इस महीने में तुलसी जी को रोज दीपक जलाना शुभ माना जाता है तो वहीं कुछ लोग इस महीने में ब्रम्हस्नान भी करते है. जिसे करने से उन्हें अच्छे फल की प्राप्ती होती. माना जाता है कि देव दिवाली के दिन जो लोग अपना मुख पूरब दिशा की तरफ करके दान करते हैं उनकी उम्र लंबी होती है और उनके घर में सुख शांति हमेशा बनी रहती है.