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देवउठनी एकादशी: बेटी की चाहत रखते हैं तो इस व्रत का ले संकल्प होगी मनोकामना पूरी 

Dev Uthani Ekadashi: If you desire a daughter, take a vow to observe this fast, and your wish will be fulfilled.

देवउठनी एकादशी: बेटी की चाहत रखते हैं तो इस व्रत का ले संकल्प होगी मनोकामना पूरी 

कार्तिक मॉस की शुक्ल पक्ष एकदशी को साल भर में सबसे शुभ दिन मना जाता है, इस दिन कोई भी कार्य करने से पहले मुहूर्त या समय देखने की ज़रूरत नहीं होती. एकादशी के दिन, दिन का एक एक क्षण शुद्ध और शुभ महूर्त वाला होता है.

इस दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह किया जाता है. वैसे तो हिंदू धर्म के अधिकांश त्योहार बेटे के लिए ही होता है, लेकिन ये त्योहार बेटी के लिए किया जाता है. कहा जाता है कि जो लोग बेटी की चाहत रखते हैं वो यदि इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी जी का विवाह करें तो उन्हें कन्या दान का अवसर जरूर मिलता है.

तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के साथ किया जाता है. हमारे देश के उत्तरी और पश्चिमी भाग में देवउठनी एकदशी को विशेष रूप से मनाया जाता है. तुलसी का विवाह पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. विवाह के लिए घर को सजाया जाता है, भांति भांति के पकवान बनाये जाते है. दिन में व्रत रखकर तुलसी विवाह की कथा सुनी जाती है और शाम को तुलसी का विवाह कराकर व्रत खोला जाता है.

ऐसे करें तुलसी-शालिग्राम का विवाह – तुलसी विवाह

–  देवउठनी या देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन जो तुलसी विवाह कराते हैं वो व्रत रखते हैं. इस दिन शाम को तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह सजाया जाता है फिर शालिग्राम के साथ तुलसी के पौधे को परिणय बंधन में बांधा जाता है.

–  एक विवाह में जिन चीजों का इस्तेमाल होता है, वो सारी चीजें जैसे- मेहंदी, मोली, रोली, धागा, फूल, चंदन, चावल, मिठाई, शगुन की हर चीज पूजन सामग्री के रूप में रखी जाती है.

–  सबसे पहले तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं. फिर तुलसी देवी पर सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं.

–  अब गमले में शालिग्राम या फिर भगवान विष्णु की तस्वीर को रखें. इस दौरान इस बात का खास ख्याल रखें कि शालिग्राम पर चावल नहीं चढ़ाया जाता है लेकिन चावल की जगह आप तिल चढ़ा सकते हैं.

–  तुलसी और शालिग्राम पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं. गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसका पूजन करें.

–  हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जानेवाला मंगलाष्टक अगर आता है तो वह अवश्य करें.

–  देव प्रबोधिनी या देव उठनी एकादशी से कुछ चीजों का सेवन करने की शुरूआत की जाती है. इसलिए भाजी, मूली, बेर और आंवला जैसी सामग्रियों को पूजा में चढ़ाने के लिए लेकर आएं.

–  प्रसाद चढ़ाने के बाद कपूर से आरती करनी चाहिए और 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करनी चाहिए. परिक्रमा पूरी होने के बाद तुलसी और शालिग्राम को नमन करके इसका प्रसाद सबको बांटना चाहिए और खुद भी इसका सेवन करना चाहिए.

AUTHOR :KRISHNA SINGH

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