Hartalika Teej 2025: Hartalika Teej is celebrated on the holy day of union of Shiva-Parvati
सुहागिनों के पवित्र त्योहार हरतालिका का बहुत महत्व है. ये त्योहार यूपी, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. हरतालिका तीज व्रत का हिंदू महिलाओं के लिए बहुत महत्व है। मान्यता है कि यदि कोई कुंवारी कन्या इस व्रत को विधिपूर्वक रखे तो उसे मनचाहा जीवनसाथी मिल सकता है, जैसे देवी पार्वती को भगवान शिव मिले थे। हरतालिका तीज का मुख्य उद्देश्य संतान के साथ वैवाहिक सुख प्राप्त करना है।
इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहने के साथ ही सोलह श्रृंगार करती हैं और भगवान भोलनाथ और माता पार्वती की पूजा कर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं आपको बता दें कि हरतालिका का माता पार्वती से बहुत गहरा नाता है. ये त्योहार उन्होंने ही शुरू किया था.
लिंग पुराण की एक कथा के अनुसार मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर छोटी उम्र बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर कठिन तपस्या की. इस दौरान उन्होंने न कुछ खाया और न ही पानी पीया. काफी समय सूखे पत्ते चबाकर काटी और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा पीकर बिताए. माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता बहुत दुखी हुए.
इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर मां पार्वती के पिता के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया. पिता ने जब मां पार्वती को उनके विवाह की बात बताई, तो वह बहुत दुखी हो गई और जोर-जोर से रोने लगीं. फिर उनकी एक सहेली ने पूछा की आप रो क्यों रही हैं, इस पर पार्वीत ने बताया कि वह भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन व्रत कर रही हैं जबकि उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं.
इसके बाद उनकी सहेली ने उन्हें जंगल में चले जाने की सलाह दी. माता पार्वती ने इसके एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना की. भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाया और भोलेनाथ का स्मरण करके रात भर जागरण किया. पार्वती की कठिन तपस्या देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया. तभी से हरतालिका तीज सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत बन गया.