देवउठनी एकादशी: रविवार को तुलसी छूना क्यों होता है मना
हिन्दू धर्म में बहुत बार ऐसा होता है कि पूजा-पाठ के नाम पर कई तरह के नियम व कानून बनाये गए है। लेकिन यदि कभी इन नियमों और दायरों की बात की जाये, तो आप यह पायेंगे कि जहां एक ओर भारत में बने हर नियम का अपना एक धार्मिक महत्व है, तो वहीं दूसरी ओर इन नियमों का कोई ना कोई वैज्ञानिक कारण भी जरूर होता हैं।
तो आइये जानते है कल देवउठनी एकादशी है और ऐसे में आपको बहुत जरुरी जानकारी दे रहे है ,रविवार को तुलसी का पौधा ना छुने का क्या है धार्मिक कारण…
हिन्दु धर्म में तुलसी का पौधा महत्वपूर्ण है इस बात से कोई अंजान नहीं है।

पुराणों में तुलसी का पौधा ना छुने को लेकर भी कई कारण दिए गए है। जिसके मुताबिक भगवान श्रीहरि को तुलसी बेहद प्रिय थी इसलिए तुलसी के पूजन से श्रीहरि बेहद प्रसन्न होते थे। पुराणों के मुताबिक भगवान श्रीहरि के पूजन के लिए सबसे शुभ दिन वीरवार माना जाता है, लेकिन इसी के साथ रविवार का दिन भी भगवान विष्णु का सबसे प्रिय दिन माना जाता है… और यहीं कारण है कि भगवान विषणु प्रिय तुलसी को भी उस दिन ना तोड़ने की परंपरा है। कहते है जो भी उस दिन तुलसी तोड़ता है उस पर भगवान विष्णु क्रोधित हो जाते है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से तुलसी का विवाह हुआ था और रविवार के दिन भगवान विष्णु पर तुलसी चढ़ाकर पूजा की जाती है और उनके प्रिय दिन तुलसी पर जल चढ़ाना, पूजा करना और उसे तोड़ना सब मना होता है।

इसके अलावा यह भी मान्यता हैं रविवार के दिन मां तुलसी का व्रत होता है। वह पूरे दिन पूर्ण रूप से व्रत रखती है और इसलिए इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से उनके व्रत में बाधा पड़ती है।