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क्या है HFMD वायरस, जो बच्चों पर कर रहा है अटैक?

HFMD virus

क्या है HFMD वायरस, जो बच्चों पर कर रहा है अटैक?

आजकल बच्चों में एक बीमारी तेजी से फैल रही है, जिसे HFMD (Hand, Foot and Mouth Disease) कहा जाता है। यह बीमारी आमतौर पर छोटे बच्चों को प्रभावित करती है, लेकिन कभी-कभी बड़े भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। यह एक संक्रामक वायरल इंफेक्शन है, जो मुख्य रूप से कॉक्सैकी वायरस (Coxsackievirus) और एंटरवायरस के कारण फैलता है। नाम से ही स्पष्ट है कि इसका असर हाथ, पैर और मुंह पर सबसे ज्यादा दिखाई देता है।

HFMD वायरस कैसे फैलता है?

यह वायरस बहुत तेजी से एक बच्चे से दूसरे बच्चे में फैल सकता है। इसके फैलने का मुख्य कारण संक्रमित बच्चे की लार, नाक से निकलने वाला स्राव, फफोले का तरल या मल हो सकता है। स्कूल या डे-केयर में जब बच्चे आपस में खेलते हैं या एक-दूसरे के खिलौने, बोतल या खाना साझा करते हैं, तो संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है।

HFMD के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे शुरू होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये गंभीर रूप ले सकते हैं। प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं –

  1. हल्का बुखार और गले में खराश।

  2. मुंह के अंदर छोटे-छोटे छाले या घाव।

  3. हाथों और पैरों में लाल दाने या फफोले।

  4. भूख कम लगना और चिड़चिड़ापन।

  5. कभी-कभी शरीर में थकान और कमजोरी भी महसूस होती है।

क्या है इसका इलाज?

HFMD का अभी तक कोई खास दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। यह बीमारी लगभग 7 से 10 दिन में खुद ही ठीक हो जाती है। हालांकि, बच्चों को आराम और सही देखभाल देना बेहद जरूरी है।

  • बच्चों को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ दें ताकि डिहाइड्रेशन न हो।

  • ठंडी और हल्की चीजें जैसे दही, नारियल पानी या सूप देने से मुंह के छालों में आराम मिलता है।

  • अगर बुखार या दर्द ज्यादा हो तो डॉक्टर की सलाह से पैरासिटामोल जैसी दवाइयां दी जा सकती हैं।

बचाव के उपाय

क्योंकि यह बीमारी संक्रामक है, इसलिए बचाव करना ही सबसे कारगर उपाय है।

  • बच्चों को बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।

  • संक्रमित बच्चे को कुछ दिनों तक स्कूल या डे-केयर न भेजें।

  • खिलौनों और उपयोग की चीजों को साफ-सुथरा रखें।

  • बच्चों को दूसरों का खाना या पानी शेयर करने से बचाएं।

निष्कर्ष

HFMD वायरस बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है अगर समय पर पहचान और देखभाल न की जाए। यह जानलेवा नहीं है, लेकिन बच्चे को बहुत तकलीफ दे सकता है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि लक्षण दिखते ही बच्चे को भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रखें और डॉक्टर से संपर्क करें।

AUTHOR :Rahul Jangid

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