इन रंगों को पहनकर नहीं करनी चाहिए पूजा, नहीं तो,,
शास्त्रों में पूजा-पाठ के लिए कई तरह के नियमों का वर्णन किया गया है जिसकी जानकारी हममें से ज्यादातर लोगों को नहीं होती है. शास्त्रों की बातों पर गौर करेंगे तो हर मनुष्य को पूजा के दौरान विशेष रूप से कुछ सावधानी अवश्य बरतनी चाहिए.वराह पुराण में भगवान के द्वारा पूजा-पाठ को लेकर कुछ निषेध नियम बताए गए हैं जिन्हें हर इंसान को पूजा के दौरान करनी चाहिए नहीं तो पूजा का फल नहीं मिल पाता.
ईश्वर की आराधना के वक्त इंसान को काले रंग या फिर नीले रंग के कपड़े नहीं पहने चाहिए. वराह पुराण में बताया गया है इन दो रंगों के कपड़े पहनकर पूजा करने से ईश्वर आपकी पूजा को स्वीकार नहीं करते हैं.
हिन्दू धर्म में चार रंगों को प्रमुख माना गया है
सफेद, लाल, पीला और हरा जिनका उपयोग भगवान को अर्पित की जाने वाली खाद्य सामग्री से लेकर जातक द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों तक में होता है. वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा में पुरुष को सफेद धोती, सफेद या पीला कुर्ता पहनना चाहिए और महिलाओं को लाल रंग की साड़ी पहन कर पूजा करनी चाहिए.
लाल रंग को सौभाग्य का रंग माना जाता है. लाल रंग का उपयोग हर शुभ काम में होता है, लाल रंग को नए जीवन का प्रतीक माना जाता है. इसलिए सुहागिन स्त्रियों को भी लाल रंग की चूड़ी और साड़ी पहनने के लिए बोला जाता है इससे उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मां लक्ष्मी, मां दुर्गा भी लाल वस्त्र धारण करतीं है.