इतिहास के पन्नों में 06 अगस्त: आज ही के दिन भारत में जन्मा था पहला टेस्ट ट्यूब शिशु
सृष्टि का सृजन अपने आप में एक अद्भुत चमत्कार है और एक बच्चे का जन्म प्रकृति के सबसे सुंदर करिश्मों में से एक है। विज्ञान ने इस प्रक्रिया को न केवल समझा, बल्कि उसे नई दिशा भी दी। ऐसी ही एक ऐतिहासिक उपलब्धि भारत ने 06 अगस्त 1986 को हासिल की, जब देश का पहला "टेस्ट ट्यूब बेबी" जन्मा।
यह दिन भारतीय चिकित्सा और जैव प्रजनन तकनीक के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) कहा जाता है, जिसमें मां के शरीर के बाहर अंडाणु और शुक्राणु को मिलाया जाता है और उसके बाद भ्रूण को मां के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है।
भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के जन्म की यह सफलता डॉ. इंदिरा हिंदुजा और उनकी टीम की मेहनत का परिणाम थी। यह बच्ची "हर्षा" थी, जिसका जन्म मुंबई के केईएम अस्पताल में हुआ। यह वह दौर था जब देश में इस तकनीक को लेकर जागरूकता और संसाधनों की भारी कमी थी, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने सीमित साधनों में भी यह कारनामा कर दिखाया।
टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक ने उन लाखों दंपतियों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाई जो संतान सुख से वंचित थे। यह तकनीक न केवल विज्ञान का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह सामाजिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है।