Delhi blast: पेशेवर पहचान की आड़ में रची देश को दहलाने की साजिश
दिल्ली के लाला किले के पास सोमवार यानी 10 नवंबर 2025 को हुए धमाके ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। एक बार इस धमाके ने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किये है। इस कार बम विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई है, जबकि 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए। वहीं दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों जांच में जुटी हुई है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को अब तक जांच में पता चला कि इस नेटवर्क में शामिल लोग बेहद शिक्षित थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, यह ऑपरेशन अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले कश्मीरी मेडिकल प्रोफेसर डॉ. मुजामिल शकील की गिरफ्तारी के बाद शुरू हुआ। डॉ. मुजामिल के यूनिवर्सिटी परिसर के निकट स्थित किराए के आवास से विस्फोटक, डेटोनेटर, बैटरी, टाइमर और हथियार मिले थे, जिनमें एक एके-56 राइफल और एक क्रिनकोव भी शामिल था।
वहीं दिल्ली बम धमाके मामले में दिल्ली पुलिस ने डॉ. सज्जाद अहमद माला को हिरासत में लिया है। बता दे, डॉक्टर को पुलिस ने पुलवामा से अरेस्ट किया है। दूसरी तरफ पुलिस अब यूनिवर्सिटी की लैब में जांच कर रही है। लैब कर्मियों से पूछताछ की जा रही है।
डॉ उमर की कार में थी विस्फोट सामग्री
सुरक्षा एजेंसियों को CCTV फुटेज में मेट्रो स्टेशन की पार्किंग से निकल रही कार में काले रंग का मास्क पहने एक शख्स बैठा दिखाई दिया। इसी पहचान डॉ. मो. उमर नबी के रूप में हुई, जो पुलवामा का रहने वाला है। बता दें कि डॉ उमर ही विस्फोटकों से लदी कार चला रहा था। सूत्रों के अनुसार, डॉ. शाहीन ने जम्मू-कश्मीर के कई दौरे किए थे। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियां उसकी सभी गतिविधियों की जाँच कर रही है।
जानकारी में बता दे, अल-फलाह विश्वविद्यालय की स्थापना 2014 में हुई थी और इसे 2015 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मान्यता प्राप्त हुई। यह निजी विश्वविद्यालय अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत संचालित होता है।