मनरेगा अब हुई 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना', दिनों की संख्या भी बढ़कर 125
केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार यानि 12 दिसंबर को महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लायमेंट गारंटी स्कीम (MNREGA) का नाम बदलने और काम के दिनों की संख्या बढ़ाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। अब इस योजना का नाम ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ रखा जाएगा। सरकार ने इस योजना के तहत न्यूनतम गारंटीकृत रोजगार के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, न्यूनतम मजदूरी को संशोधित करके 240 रुपये प्रति दिन कर दिया गया है। इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है, जिसके तहत प्रत्येक परिवार को, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का मजदूरी रोजगार प्रदान किया जाता है।
जानकरी में बता दे, यह योजना मूल रूप से 'राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (NREGA)' के नाम से शुरू की गई थी। लेकिन 2009 में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) कर दिया गया। अब तीसरी बार इस योजना का नाम बदला जा रहा है।
मोदी सरकार ने हमारी योजनाओं के नाम बदले
पूर्व पत्रकार और कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत ने मनरेगा का नाम बदले जाने को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इसी मनरेगा को मोदी सरकार कांग्रेस की विफलता बताते थे, लेकिन असलियत में यही मनरेगा ग्रामीण भारत के लिए संजीवनी साबित हुई। आज इस योजना से ग्रामीण भारत के घरों का चुल्हा जल रहा है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा, "कांग्रेस की स्कीमों का नाम बदल कर उनको अपना बना लेने की मोदी जी की यह लत बड़ी पुरानी है यही तो किया है उन्होंने 11 साल, UPA की स्कीमों का नाम बदल अपना ठप्पा लगा कर पब्लिसिटी करना।"