पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी आतंकवादी बन जाते हैं.... शरजील की जमानत के विरोध में दिल्ली पुलिस की SC में दलील
सुप्रीम कोर्ट में आज साल 2020 दिल्ली दंगों के आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुल्फिशा फातिमा, मुहम्मद सलीम खान, शादाब अहमद और शिफा उर रहमान की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान दौरान दिल्ली पुलिस ने SC के सामने लाल किले बम धमाके का हवाला देते हुए कहा कि जब पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी आतंकवादी बन जाते हैं, तो वे जमीनी कार्यकर्ताओं से कहीं ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से ASG एस.वी. राजू ने साफ अदालत को बताया कि यह मामला सामान्य प्रदर्शन का नहीं है। असम को भारत से अलग कर दिया जाएगा। वह आर्टिकल 370 के बारे में बात करते हैं, मुसलमानों को भड़काने प्रयास कर रहे हैं। तीन तलाक के बारे में और कोर्ट के लिए बोलते है की नानी याद दिला देंगे। यही नहीं वह बाबरी मस्जिद के बारे में भी बात करते हैं। उनका अंतिम लक्ष्य सरकार बदलना है। उन्होंने आगे कहा, 'उच्च शिक्षित युवा, डॉक्टर, इंजीनियर और शोधकर्ता अपने पेशे से हटकर देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। पुलिस ने कोर्ट को याद दिलाया कि इसी पैटर्न का इस्तेमाल पहले भी कई मामलों में देखा गया था, और यही वजह है कि वे जमानत का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
इसके बाद ASG एस.वी. राजू ने कहा कि 'निचली अदालत को ट्रायल तेज करने का निर्देश दिया जा सकता है, लेकिन देरी जमानत का आधार नहीं। चाहे कोई 5.5 साल से जेल में हो, ये बेल देने का ग्राउंड नहीं होना चाहिए।'
ASG ने कहा कि CAA प्रोटेस्ट को इंटरनेशनल मीडिया कवरेज पाने के लिए अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनल्ड ट्रंप के भारत दौरे के साथ टाइम किया गया था। राजू ने कहा कि इनका आखिरी इरादा सरकार बदलना है। CAA के विरोध प्रदर्शन सिर्फ गुमराह करने वाले थे, असली मकसद सरकार बदलना, आर्थिक तंगी पैदा करना और पूरे देश में अफरा-तफरी फैलाना था। दंगे जानबूझकर US प्रेसिडेंट डोनल्ड ट्रंप के दौरे के साथ करवाए गए थे। ये तथाकथित बुद्धिजीवी जमीनी आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक हैं।