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चार साल पहले बना Arattai App अचानक कैसे देने लगा WhatsApp को टक्कर, जानिए

Arattai app

चार साल पहले बना Arattai App अचानक कैसे देने लगा WhatsApp को टक्कर, जानिए

इन दिनों सोशल मीडिया और न्यूज़ पेपर में Arattai App की जमकर चर्चा हो रही है। यह ऐप पिछले कुछ महीनों से अमेरिकन सोशल मीडिया प्लेटफार्म WhatsApp को जमकर टक्कर दे रहा है। लेकिन चार साल पहले बना यह ऐप अचानक कैसे फेमस हुआ और भारतीयों ने अपनाना शुरू कर दिया। तो चलिए जानते है - 

PM मोदी ने दिया मेड इन इंडिया पर जोर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार Arattai के प्रति दिन साइन-अप 3,000 के करीब थे, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 3,50,000 तक पहुंच गया। इसकी सबसे बड़ी वजह खुद अमेरिका रहा है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जुलाई-अगस्त में भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया था। इसके बाद भारत काफी नाराज हुआ। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "मेड इन इंडिया" पर ज्यादा जोर देना शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी हर सभा और इंटरव्यू में स्वदेशी चीजों को अपनाने पर जोर दिया। देश की जनता ने भी स्वदेशी अपनाना शुरू किया और इसी का फायदा Arattai को पहुंचा। अब देश की जनता इसे “मेड इन इंडिया व्हाट्सएप” कहकर बुलाने लगे। 

कौन है Arattai कंपनी के फाउंडर ?

Arattai के जन्मदाता श्रीधर वेम्बू हैं। उनका जन्म साल 1968 में तमिलनाडु के तंजावुर जिले में हुआ था। उन्होंने IIT मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक करने के बाद अमेरिका से पीएचडी की डिग्री हासिल की। उन्होंने वहां क्वालकॉम (Qualcomm) कंपनी से अपने करियर की शुरुआत की, जहां वे वायरलेस तकनीक पर काम करते थे। लेकिन कुछ सालों बाद उन्होंने विदेश की आरामदायक जिंदगी छोड़ भारत लौटने का फैसला किया। 

अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने तमिलनाडु के तेनकासी जिले के एक छोटे से गांव में अपना ऑफिस बनाया। जहां वह गांव के युवाओं को आधुनिक टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग देते हैं। साल 1996 में श्रीधर वेम्बू ने अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर एडवेंटनेट नाम की कंपनी शुरू की, जो आगे चलकर जोहो कॉरपोरेशन (Zoho Corporation) बनी। इस कंपनी का उद्देश्य भारतीय सॉफ्टवेयर बनाना और दुनिया तक पहुँचाना था। इसके बाद साल 2021 में, जोहो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन "मेड इन इंडिया" पर जोर दिया। उन्होंने अराटाई (Arattai) नाम का मैसेजिंग ऐप देश को दिया, लेकिन उस समय इसको सफलता नहीं मिली, लेकिन चार साल बाद इस स्वदेशी ऐप को लोगों ने अपनाना शुरू कर दिया। 

AUTHOR :Rahul Jangid

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