भारत-चीन ने सीमा नियंत्रण पर बनाई नई सहमति, क्या अमेरिका की वजह से एकजुट हुए ?
दो दिवसीय भारत दौरे पर चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने अमेरिका को बड़ा झटका दिया है। भारत दौरे पर उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, एस जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच सिमा विवाद को खत्म करना और वैश्विक चुनौतियों का सामना शामिल है।
चीन के विदेश मंत्री वांग ई और अजीत डोभाल की अध्यक्षता में बुधवार को हुई विशेष प्रतिनिधि स्तर की 24वीं वार्ता के दौरान भारत-चीन सीमा निर्धारण को लेकर एक विशेषज्ञ समूह का गठन करने का फैसला लिया गया। दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और वैश्विक चुनौतियों का साथ मिलकर सामना करने पर सहमति जताई।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि दोनों पक्षों ने अलग-अलग क्षेत्रों में संवाद फिर से शुरू करने, पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को गहरा करने, बहुपक्षवाद को बनाए रखने, वैश्विक चुनौतियों से संयुक्त रूप से निपटने और एकतरफा धमकियों का विरोध करने पर सहमति जताई।
माओ ने कहा, 'सीमा सवाल पर दोनों पक्षों ने नए साझा समझौतों पर सहमति जताई। जिसमें सामान्यीकृत प्रबंधन और नियंत्रण, सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना, संवेदनशील क्षेत्रों को उचित रूप से संबोधित करना और जहां शर्तें अनुकूल हों वहां सीमा वार्ता शुरू करना शामिल है।' इस समझौते से दोनों देशों के बीच करीब 5 साल से कायम सीमा पर तनाव में कमी करना है।
रणनीतिक संबंधों में सुधार करना
माओ ने कहा आगे कहा, वर्तमान परिस्थितियां देखते हुए रणनीतिक महत्व और द्विपक्षीय सहयोग से दोनों देश मिलकर आगे बढ़ सकते है। उन्होंने अपने भाषण में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दी गई टैरिफ धमकियों का भी जिक्र किया था। बता दे, अमेरिका ने भारत पर रूस से लगातार तेल खरीदने से नाराज होकर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जो 27 अगस्त से प्रभावी होने जा रहा है।