Kanwar Yatra 2025: सनातन धर्म में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व, जानिये क्यों की जाती है कांवड़ यात्रा
11 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है. इसी दिन से कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है. कांवड़ यात्रा भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. सावन के महीने की कांवड़ यात्रा में शिवभक्त अपनी अपनी श्रद्धानुसार कांवड़ उठाते हैं. माना जाता है कि सावन में जो भी शिवभक्त सावन कांवड़ यात्रा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सावन के पहले सोमवार पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए रविवार शाम से ही कांवड़ियों जल लेकर शहर आने लगे। आधी रात के बाद कांवड़ियों ने हर-हर महादेव जयघोष के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक किया।
कांवड़ यात्रा को सीधे तौर पर भगवान शिव से जोड़ा जाता है. बताया जाता है भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ये यात्रा की जाती है. कांवड़ यात्रा श्रद्धा के साथ ही सहनशक्ति और सामूहिक एकता की यात्रा है.यात्रा के दौरान मांस मदिरा का सेवन नहीं किया जाता है. इस दौरान तामसिक भोजन भी वर्जित होता है. कांवड़ यात्रा शरीर के साथ साथ मन की भी यात्रा होती है.
हिंदू मान्यताओं के अनुसार कांवड़ यात्रा सनातन से जुड़ी पुरानी और ऐतिहासिक यात्रा है. रामायण में उल्लेख मिलता है श्रवण कुमार ने माता पिता को कंधों पर बिठाकर कांवड़ यात्रा पूरी की थी. उन्होंने इस यात्रा के जरिये अपने माता पिता को चारों धाम के दर्शन करवाये थे. इसी दौरान वे अपने माता पिता को हरिद्वार भी लेकर आये थे. जहां उन्होंने माता पिता को गंगा में स्नान करवाया था.