मौलाना महमूद मदनी के बिगड़े बोल.... मुसलमान आज असुरक्षित महसूस करता है...अदालतें सरकार के दबाव में काम कर रही
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर गंभीर सवाल कड़े किये है। उन्होंने कहा कि अदालतें सरकार के दबाव में काम कर रही हैं। मौलाना ने कहा, बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और ज्ञानवापी-काशी जैसे मामलों के फैसलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पर सरकार के दबाव में काम करने का सीधा आरोप लगाया।
भोपाल में एक कार्यक्रम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की नेशनल गवर्निंग बॉडी मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों और उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि ‘बाबरी मस्जिद और तलाक जैसे मामलों में अदालतों पर सरकार का प्रभाव साफ दिखता है।'
मदनी ने कहा, 'अब 1991 के उपासना स्थल अधिनियम को दरकिनार करके एक के बाद एक मस्जिदों-दरगाहों पर सर्वे हो रहा हैं। ऐसा लगता है कि अदालतें सरकार के दबाव में काम कर रही हैं।' उन्होंने आगे कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट को तभी ‘सुप्रीम’ कहलाने का हकदार है, जब वह संविधान की रक्षा करे। अगर ऐसा नहीं होता, तो उसके सुप्रीम होने पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं।’
वहीं जिहाद पर बोलते हुए कहा कि लव जिहाद, लैंड जिहाद, एजुकेशन जिहाद और थूक जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके मुसलमानों को बहुत दुख पहुंचाया जाता है और उनके धर्म का अपमान किया जाता है। जबकि इस्लाम में जिहाद एक पवित्र कर्तव्य और कुरान में इसकी अलग-अलग परिभाषा हैं।
इसके अलावा वंदे मातरम को लेकर विवाद पर मदनी ने कहा, ‘मुर्दा कौमें सरेंडर करती हैं। अगर कहा जाएगा ‘वंदे मातरम’ बोलो, तो वे बोलना शुरू कर देंगी। जिंदा कौम हालात का मुकाबला करती है।’ उन्होंने मुस्लिम समुदाय से कहा कि मुसलमान आज अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं। उन्हें कदम-कदम पर नफरतों का सामना करना पड़ता है।