नेहरू ने वंदे मातरम पर समझौता किया, लोकसभा में बोले पीएम मोदी
शीतकालीन सत्र में आज सोमवार को राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा शुरू हो गई है। लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के लिए 10 घंटे का वक्त तय किया गया है। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अनुराग ठाकुर सरकार की तरफ से वंदे मातरम पर पक्ष रखेंगे। वहीं, विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई, प्रियंका वाड्रा, दीपेंद्र हुड्डा, विमल अकोइजम, प्रणिती शिंदे, प्रशांत पडोले, चमाला रेड्डी और ज्योत्सना महंत पक्ष रखेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चर्चा की शुरुआत की है। उन्होंने कहा, वंदे मातरम के इतिहास और आजादी के आंदोलन में इसके योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल में गुलामी की बेड़ियों में जकड़े देश को झकझोरने के लिए बंकिमचंद्र चटोपाध्याय ने वंदे मातरम जैसे गीत की रचना की। चटोपाध्याय ने 1875 में इसे लिखा था, यह गीत उस समय लिखा गया था जब 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी। उस समय उनके राष्ट्र गीत को घर-घर तक पहुंचाने का षड्यंत्र चल रहा था, ऐसे समय में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया और उसमें से वंदे मातरम् का जन्म हुआ।
पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है, लेकिन जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए, तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, और जब वंदे मातरम् का अत्यंत उत्तम पर्व होना चाहिए था, तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। जिस वंदे मातरम् के गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके 100 वर्ष पूरे होने पर हमारे इतिहास का एक काला कालखंड दुर्भाग्य से उजागर हो गया।
PM मोदी ने आगे कहा कि हमारे जांबाज सपूत बिना किसी डर के फांसी के तख्त पर चढ़ जाते थे और आखिरी सांस तक वंदे मातरम् कहते थे। खुदीराम बोस, अशफ़ाक उल्ला ख़ान, राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी… हमारे अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने वंदे मातरम् कहते हुए फांसी को चूम लिया। यह अलग-अलग जेलों में होता था, लेकिन सबका एक ही मंत्र था, वंदे मातरम।