पुलिस हिरासत में मौतें सिस्टम के लिए धब्बा.... सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस हिरासत में होने वाली हिंसा और मौतों को कलंक बताया है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हिरासत में किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं करेगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस स्टेशनों में खराब सीसीटीवी कैमरों को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फिर फटकार लगाई है।
दरअसल, पुलिस थानों में कार्यशील सीसीटीवी न होने से स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अपने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि राजस्थान में आठ महीनों में 11 मौतें हिरासत में हुई। उन्होंने आगे कहा, देश अब ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह सिस्टम के लिए धब्बा है। हिरासत में मौतें नहीं हो सकतीं।
वहीं अदालत ने राज्यों और पुलिस प्रणाली को चेतावनी देते हुए कहा कि कानून के नाम पर अत्याचार किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं होगा। राजस्थान में पुलिस हिरासत में हुई मौतों से पहले साल 2018 के एक अलग मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार उल्लंघन रोकने के लिए पुलिस थानों में सीसीटीवी लगाने का आदेश दिया था। इस दौरान कोर्ट ने आदेश में कहा था कि सभी पुलिस थानों, सीबीआई, ईडी, एनआईए जैसी केंद्रीय एजेंसियों के दफ्तरों में फुल कवरेज वाले सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग सिस्टम लगाएं।
लेकिन रिपोर्ट में केवल 11 राज्यों ने अनुपालन हलफनामा दायर किया है। कई राज्य और केंद्र के कई विभागों ने अब तक कोई जानकारी नहीं दी। वहीं शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश ने बेहद अच्छा काम किया है, हर पुलिस स्टेशन और चौकी को डिस्ट्रिक्ट कंट्रोल रूम से लाइव जोड़ा गया है। इसे बेंच ने काबिल-ए-तारीफ बताया।